Odisha College Student Sexual Harassment: जब उसका पांच साल वाले कोर्स में एडमिशन हुआ था, वो बहुत खुश थी, उसे ये देख अच्छा लग रहा था कि कौन-कौन वहां से पढ़कर जा चुका था। इतने अच्छे इंस्टीट्यूट के साथ जुड़ना उसके लिए किसी सपने से कम नहीं था। ये शब्द ओडिशा में खुद को आग लगाने वाली 20 साल की लड़की के पिता के हैं। उनकी बेटी तो अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन पिता रोज याद कर रहे हैं, न्याय चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि किसी दूसरे पिता को ऐसे दर्द से गुजरना पड़े।
पीड़िता अपने कॉलेज में परेशान चल रही थी, वहां के प्रोफेसर पर उसने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। लेकिन जब न्याय मिलने में देरी हुई, उसने खुद को आग के हवाले कर दिया। दो दिन तक जिंदगी से जंग लड़ी और फिर इस दुनिया को अलविदा कह चली गई। अब एक मायूस पिता जब अपनी बेटी को याद करता है, बस उसकी हिम्मत, उसका जज्बा उसकी आंखों के सामने आता है। वे कहते हैं कि मेरी बच्ची बहुत बहादुर थी, इसी वजह से उसने अपने साथ हुए अन्यया के खिलाफ ऐसे आवाज उठाई। उसने अपनी आखिरी सांस तक इस सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मैंने जो खो दिया, वो कभी वापस नहीं मिलेगा, लेकिन बस कोई दूसरा इस दौर से ना गुजरे।
इस पीड़िता की जिंदगी किसी को भी प्रेरित कर सकती है। वो हमेशा दूसरों की मदद करना चाहती थी, समाज सेवा कई साल पहले ही उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। उसने खुद को संघ की ही स्टूडेंट विंग ABVP से भी जोड़ लिया था। उसकी रूममेट खुद अब उन दिनों को याद करती है। उसका कहना है कि राष्ट्रवाद और जिम्मेदारी लेने की अलख तो उसमें एबीवीपी से जुड़ने के बाद ही जागी थी। दूसरों की मदद करना उसे अच्छा लगता था, वो कभी हार नहीं मानती थी।
अब जिस दोस्त का जिक्र यहां हो रहा है, वो दो सालों तक पीड़िता के साथ ही रही। एक महीने पहले तक तो पीड़िता का बर्थडे भी उस दोस्त ने मनाया था। उसे याद करते हुए वो कहती है कि हम एक दूसरे को चार सालों से जानते थे। दोस्त के मुताबिक 30 जून की बात है जब पीड़िता काफी परेशान थी, उसने प्रोफेसर के खिलाफ प्रिंसिपल को शिकायत की थी। खुद को आग लगाने से पहले वाली रात वो काफी परेशान थी। रात को आठ बजे के करीब उसने अपनी मां से भी बात की थी, सबकुछ बताया था। उसकी मां ने मुझे कहा था कि मैं उसे संभाल लूं।
अब पीड़िता को कोई नहीं संभाल पाया क्योंकि उसका दर्द बड़ा था, न्याय की आस उसमें खत्म हो रही थी। लेकिन उसके जाने के बाद दोस्त को कई बातें परेशान कर रही है। उसे कई बातें अब खटक रही है। ऐसी ही एक बात याद करते हुए वो कहती है कि हमारे यहां पर दोपहर 2.30 बजे तक खाना आता था। लेकिन उस दिन उसने दोपहर में एक बजे ही खाना मंगवाया, लेकिन क्योंकि, जो खुद को आग लगाने की सोच रहा होगा वो ऐसे लंच क्यों प्लान कर रहा था? मैं तो अभी भी जवाब खोज रही हूं।
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पीड़िता की सिर्फ एक कहानी नहीं है, वो तो कई कामों में सक्रिय थी। कॉलेज के दूसरे साथी बताते हैं कि वो सेल्फ डिफेंस की क्लासेस भी लेती थी, कैंपस में ही दूसरी महिलाओं को वो सिखाती थी, वो तो एक ऑलराउंडर थी, पेंटिंग से लेकर एक्टिंग तक, हर काम में अच्छी। उसके दूसरे साथी बता रहे हैं कि उसे कॉलेज में अटेंडेंस का इशू रहता था, उसकी मां की सर्जरी हुई थी, दादा-दादी की डेथ हुई थी। इसके ऊपर यौन उत्पीड़न वाली घटना के बाद से ही वो परेशान रहने लगी थी, ऑनलाइन भी उसे बुली किया जा रहा था। लेकिन अब ना वो परेशानी बची है, ना वो दर्द है, बस एक मौन है जो चीख-चीख कर सवाल पूछ रहा है- आखिर न्याय कब तक होगा, न्याया कैसा होगा।
Sujit Bisoyi की रिपोर्ट