असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने मंगलवार (29 मार्च) को भाजपा पर राज्यपाल की मदद से उनकी सरकार को अपदस्थ करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का आरोप लगाया। विभिन्न राज्यों में कांग्रेस की सरकारों को अस्थिर करने का भाजपा पर आरोप लगाने के हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान के बाद गोगोई ने यह दावा किया है। असम में हाल की अपनी चुनावी रैलियों के दौरान कांग्रेस नेता पर तीखा हमला करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गोगोई ने यहां पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा ने बहुत पैसा खर्च किया। असम में उनकी सरकार को अपदस्थ करने के लिए बिहार चुनाव से पहले उन्होंने करोड़ों रुपए खर्च किए। उन्होंने हिमंता (बिस्व शर्मा) और अन्य विधायकों की मदद से प्रयास किया था लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।
उन्होंने दावा किया कि किसी समय कांग्रेस में रहे शर्मा, जो इस समय भाजपा में हैं, ने 35 विधायकों का समर्थन लगभग जुटा लिया था और अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा के पक्ष में विधायकों को तोड़ने में इस्तेमाल किए गए तरीके को आजमाने का प्रयास किया था। गोगोर्ई ने आरोप लगाया कि राज्यपाल पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य भी इसमें शामिल थे। बिना उनके समर्थन के यह कैसे संभव था? इसीलिए केंद्र सरकार असम में स्थायी राज्यपाल की नियुक्ति नहीं कर रही है। इसीलिए वह राज्यपाल के रूप में संघ के लोगों को नियुक्त कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के सामने गोगोई के नेतृत्व से हटने की मंशा जाहिर करने वाले 35 विधायकों ने अगर वाकई में भाजपा के प्रति निष्ठा दिखाई होती तो सरकार उसी समय गिर गई होती।
गोगोई ने शर्मा के कांग्रेस में रहने के दौरान उन पर भरोसा करने के अपने फैसले पर भी खेद जताया। उन्होंने कहा- हां, मैं उन पर काफी भरोसा करता था। उन्होंने मुझ जैसे साधारण आदमी को धोखा दिया। हिमंता और उनके सभी समर्थक मूल कांग्रेसी नहीं थे। वे आए और चले गए। हिमंता उल्फा में थे उसके बाद आसू, अगप, कांग्रेस और अब भाजपा में हैं।
उत्तराखंड संकट पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी प्रक्रिया सिर्फ लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने आरोप लगाया कि आपने ऐसा अरुणाचल और उत्तराखंड में किया। सरकार अगले दिन बहुमत साबित करने वाली थी और केंद्र ने इसे अपदस्थ कर दिया। यह तानाशाही है। यह लोकतंत्र की हत्या है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मोदी पर केंद्रीय एजंसियों का इस्तेमाल कर उनकी सरकार को अस्थिर और अपदस्थ करने के प्रयास करने की छूट देने का आरोप लगाया। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र एक के बाद एक कांग्रेस के शासन वाले राज्यों को अस्थिर कर रही है। इन दोनों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

