तमिलनाडु में निचली अदालत के एक जज ने कपड़े न धोने और पत्नी से रूखे शब्दों में बात करने पर अपनी ऑफिस असिस्टेंट 47 वर्षीय दलित महिला को नोट जारी कर दिया। इस मामले में अब न्यायिक कर्मचारी संघ ने मद्रास हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है। एक फरवरी को भेजे गए नोट पर सत्यमंगलम कोर्ट के सबऑर्डिनेट जज डी सेल्वम के दस्तखत हैं। इसमें लिखा है,’ आपने जज के घर में धोने के लिए रखे इनरवियर क्यों नहीं धोए। आपने उन्हें दूर फेंक दिया। जब आपसे इस बारे में पूछा गया तो आपने अधिकारी और उनकी पत्नी से कड़े शब्दों में बात की। सात दिन में बताइए कि आप पर अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।’
इस पर 4 फरवरी को महिला ने जवाब दिया, ‘मैं आगे से अपने काम को लेकर सतर्क रहूंगी और मेरा काम उचित तरीके से करूंगी। मैं प्रार्थना करती हूं कि मेरे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए।’ इस बारे में तमिलनाडु न्यायिक कर्मचारी संघ के महासचिव टी सेंथिल कुमार ने बताया कि वे जस्टिस एस नागामुथु और मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के सामने अपील दायर करेंगे। मेमो जारी करने वाले जज टी सेल्वम ने इस बारे में बताया कि उन्हें फाइल देखनी होगी। इसके बाद ही कुछ कह पाएंगे। ऑफिस असिस्टेंट को घर पर काम कराने के सवाल पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
सूत्रों ने बताया कि ऑफिस असिस्टेंट महिला का नाम वसंती है। वह घर में इकलौती कमाऊ है। उसका पति बीमार है और दो बेटियां हैं जो स्कूल जाती हैं। जज ने पिछले साल मई में पोस्टिंग के बाद से ऑफिस असिस्टेंट वसंती और एक अन्य कर्मचारी को अपने घर पर पोस्ट कर रखा है। वे रात को 7 बजे तक काम करते हैं। एक फरवरी को जज की पत्नी ने वसंती से उनके इनरवियर धोने को कहा। इस पर उसने ने मना कर दिया। उसी दिन दोपहर में नोट जारी कर दिया गया।’