तमिलनाडु में मतदान बीत चुका है। लेकिन इससे पहले यहां के कुछ मतदाता एक प्रत्याशी के झांसे में आकर धोखा खा बैठे। अब उन्हें यह महसूस हो रहा है कि उनका वोट पाने के लिए उम्मीदवार ने उनका उपयोग किया। इससे उनके मन में काफी आक्रोश है। ऐसे कार्यों से मतदाताओं का राजनेताओं के प्रति सम्मान भी घटता है। ऐसी स्थितियां पहले भी हुई हैं। चुनाव से पहले उम्मीदवार तमाम तरह के वादे करते हैं और बाद में मुकर जाते हैं। राज्य के तंजावुर जिले में मतदाताओं को यह महसूस करने में देर नहीं लगी कि उन्हें ठगा जा रहा है।

स्थानीय एक उम्मीदवार ने कथित तौर पर लोगों को 2000-2000 रुपये के टोकन देकर कहा था कि मतदान के बाद इसक कुंभकोणम शहर की एक किराने की दुकान में जाकर कैश करा लेना। राज्य में विधानसभा चुनाव मतदान समाप्त होने के अगले दिन बुधवार सुबह कुंभकोणम शहर में उस किराने की दुकान के बाहर लगभग 200 लोग लाइन लगाकर खड़े हो गए। हालांकि दुकान का मालिक शेख मोहम्मद ने यह कहते हुए उन्हें दूर कर दिया कि उस उम्मीदवार से इस दुकान का कोई संबंध नहीं है। उसने खुद आश्चर्य जताया कि ऐसा कैसे हो गया।

इस पर वहां मौजूद लोग भड़क उठे। कई लोग तो वहां से हटने से ही इंकार कर दिया। भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। शेख ने अपने स्टोर के बाहर पोस्टर भी लगा दिया। उसमें लिखा, “हमारा उम्मीदवार द्वारा जारी किए गए टोकन से कोई संबंध नहीं है, हम टोकन के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।”

इस घटना की जांच में पता चला है कि अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) का कार्यकर्ता कानागराज कथित रूप से टोकन बांटने की घटना में शामिल था। कुंभकोणम (पूर्व) पुलिस ने कानागराज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।