हिंदी भाषा बोलने वाले लोगों को लेकर बयान देने के बाद विवादों में आए तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने अब यू-टर्न लेते हुए एजुकेशन सिस्टम में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने की बात कही है। विधायक ने कहा कि सरकार हिंदी सहित अन्य भाषाओं को सिखाने पर विचार कर रही है, अगर छात्र इन्हें सीखना चाहते हैं तो।
फिलहाल, तमिलनाडु की दो भाषा नीति है जिसके तहत तमिल और अंग्रेजी भाषा सिखाई जाती है। एक स्थानीय समाचार चैनल थांटी टीवी के साथ एक साक्षात्कार में, पोनमुडी ने कहा कि डीएमके सरकार को तीन भाषाएं सीखने वाले छात्रों के साथ कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, “सिर्फ इतनी सी बात है कि राज्य में केवल दो (भाषाएं) अनिवार्य हैं … अगर आंध्र के छात्र हैं जो तेलुगु सीखना चाहते हैं, अगर मलयाली छात्र मलयालम पढ़ना चाहते हैं … अगर ऐसे छात्र हैं, तो हम स्कूलों में इन भाषाओं को पढ़ाने की व्यवस्था करेंगे। यही चीज कन्नड़ या हिंदी के लिए भी लागू होती है। हमने बस इतना ही कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में हिंदी एक अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल नहीं हो सकती है।”
उन्होंने आगे बताया कि वे राज्य के सरकारी स्कूलों में तीसरी भाषा सीखने की इस प्रणाली को शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पर विचार किया जा रहा है। अगर ऐसे लोग हैं जो एक और अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, तो हमारे मुख्यमंत्री नियमों के अनुसार ऐसी व्यवस्था करेंगे।
वहीं, उन्होंने हिंदी भाषा बोलने वालों को लेकर दिए अपने बयान पर भी सफाई देते हुए कहा कि इस बयान से उनका मतलब किसी को आहत करना नहीं था। बता दें कि एक बयान में उन्होंने कहा था कि दक्षिण भारत में हिंदी भाषा बोलने वाले पानी पूरी बेचते हैं।
पोनमुडी ने कहा, “लोग कह रहे हैं कि जो हिंदी सीखेंगे उन्हें नौकरी मिलेगी। यह सच है कि कई तमिल काम के लिए दूसरे राज्यों में भी जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर हिंदी भाषी लोग, जो तमिलनाडु आ रहे हैं, पानी पूरी की दुकानें चला रहे हैं, मेरा यही मतलब था। मेरे बयान का मतलब किसी को गलत तरीके से पेश करना नहीं था। मेरा कहना था कि हिंदी सीखने और नौकरी के अवसरों का आपस में कोई संबंध नहीं है।”