इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मद्रास में एक नई तरह की छुआछूत का मामला सामने आया है। वहां के हॉस्टल मेस में शाकाहारी और मांसाहारी छात्रों के लिए मेस में घुसने के लिए अलग-अलग दरवाजे, वॉश बेसिन, बर्तन और टेबल-कुर्सी की व्यवस्था की गई है। इससे छात्रों में रोष है। गुरुवार (13 दिसंबर) को हिमालय हॉस्टल की मेस के दरवाजे पर इस विभाजनकारी व्यवस्था से जुड़ा नोटिस चिपकाया गया था। इससे नाराज छात्रों ने वहां विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है और इसे नई तरह का आधुनिक छुआछूत करार दिया है।
मेस में चिपकाए गए पोस्टर के मुताबिक शाकाहारी और मांसाहारी छात्रों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाजे चिह्नित किए गए हैं। नोटिस के मुताबिक जो नॉन वेजिटेरियन हैं उन्हें शाकाहारी छात्रों के भोजन की टेबल पर नहीं बैठने की सलाह दी गई है। हालांकि, दोनों ग्रुप को एक ही मेस में खाना परोसा जाएगा। अंबेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल के समन्वयक शशिभूषण ने एचटी मीडिया से बातचीत में कहा कि आईआईटी प्रशासन द्वारा छात्रों के बीच विभाजनकारी फरमान सुनाया गया है, जिसका वे लोग विरोध करेंगे।
उधर, हॉस्टल स्टाफ का कहना है कि नई व्यवस्था हॉस्टल मॉनिटरिंग कमेटी के निर्देश पर की गई है। फिलहाल ठंढ की छुट्टी है, इसलिए संस्थान के अंदर अभी सिर्फ दो ही मेस कार्य कर रहे हैं। मेस में जो पोस्टर चिपकाए गए हैं, उसमें साफ तौर पर लिखा है कि यह वॉश बेसिन शाकाहारियों के लिए है एवं यह दरवाजा मांसाहारी छात्रों के प्रवेश या निकास के लिए है। स्टडी सर्किल ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि भारत में कालांतर में पहले ऊंची जाति के लोगों के घरों में अमूमन दो दरवाजे हुआ करते थे। सामने के दरवाजे से ऊंची जाति के लोग आते-जाते थे जबकि पिछले दरवाजे से निचली जाति के लोगों को आना-जाना होता था। पोस्ट के मुताबिक आईआईटी मद्रास में भी वही व्यवस्था लागू की जा रही है।