एक नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले की जांच करने के तरीके और उसे ‘झूठा ’ बताकर बंद करने से असंतुष्ट मद्रास उच्च न्यायालय ने दोबारा जांच का आदेश दिया है। न्यायाधीश एम जयचंद्रन और एस नागामुथू ने कहा कि हम उस स्थिति रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं, जो हमारे सामने पेश हुए पुलिस इंस्पेक्टर ने दायर की है, जिसमें कहा है कि उसने मामले को झूठा मानकर बंद कर दिया है, जबकि तथ्य यह है कि उसी की जांच के मुताबिक, अपहरण करने का अपराध हुआ है, लेकिन अपहरणकर्ता वह नहीं है, जिस पर याचिकाकर्ता ने संदेह जताया है। पी
ठ लड़की के पिता द्वारा शुक्रवार को दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने इंस्पेक्टर को फिर से जांच करने और नाबालिग लड़की को सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश देते हुए पीड़िता को 11 मार्च को अदालत के समक्ष पेश करने को कहा। पीठ ने मामले को झूठा मानकर बंद करने के लिए इंस्पेक्टर की खिंचाई की। उसकी खुद की जांच के मुताबिक अगवा करने का अपराध घटित हुआ है और सिर्फ आरोपी अलग है। पीड़िता के पिता ने याचिका में कहा कि काराडिचिथुर गांव में एक सरकारी स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली उसकी बेटी 29 नवंबर, 2015 से लापता है।
निर्माण कर्मचारी याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह बात उसे मालूम हुई कि उसकी 15 वर्षीय बेटी कोयंबटूर के एक विवाहित व्यक्ति से कई मौकों पर मिली थी। उस दिन, उसे बताया गया कि उसकी बेटी ने छुट्टी ली है और वह घर पर ही है। क्योंकि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उसी दिन 10 बजे से वह लापता है और परिवार वालों ने काफी ढूंढ़ा, लेकिन वह नहीं मिली।