तमिलनाडु सरकार आईपीएस अधिकारी बलवीर सिंह (IPS officer Balveer Singh) द्वारा हिरासत में पुरुषों को प्रताड़ित किए जाने के आरोपों की जांच कर रहा है। इसी बीच मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (Chief Minister M K Stalin) द्वारा बुधवार को राज्य विधानसभा में उनके निलंबन की घोषणा की गई थी। 13 कथित पीड़ितों में से कई ने कहा है कि वे पुलिस के दबाव में हैं और उन्हें पीछे हटने के लिए कहा जा रहा है।

पीड़ितों ने यह भी विस्तार से बताया है कि अंबासमुद्रम में हिरासत में उन्हें किस तरह से प्रताड़ित किया गया था। यही पर बलवीर सिंह सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। कथित पीड़ितों का कहना है कि अधिकारियों द्वारा सीधे बातचीत के माध्यम से या वकीलों और रिश्तेदारों के माध्यम से मामले को खत्म करने के लिए उनसे संपर्क किया जा रहा है। वहीं जिले के एसपी ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।

आरोपों के बाद सरकार बलवीर सिंह के खिलाफ चली गई बलवीर सिंह 2020 बैच के आईपीएस हैं और वह राजस्थान के टोंक से हैं। पीड़ितों की तस्वीरें और वीडियो (जिसमें पुरुषों के दांत गायब थे) सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए, जिससे आक्रोश फैल गया। पिछले रविवार को डीजीपी ने उन्हें पद से हटा दिया था और बुधवार को एमके स्टालिन ने बलवीर सिंह के निलंबन की घोषणा की थी। वहीं बलवीर सिंह से इंडियन एक्सप्रेस ने उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

कथित पीड़ितों में से कम से कम छह और कई अधिकारियों ने कहा कि उनका मानना ​​है कि पीड़ितों की संख्या 40 तक हो सकती है। अब तक बलवीर सिंह के अधिकार क्षेत्र में तीन पुलिस स्टेशनों में से 13 मामले हैं। कल्लिदैकुरिची, अंबासमुद्रम और विक्रमसिंगपुरम बलवीर सिंह के अधिकार क्षेत्र में थे। पता चला है कि तीन और लोग आने वाले दिनों में अधिकारी के खिलाफ बयान देने की तैयारी कर रहे हैं।

तिरुनेलवेली में एक शीर्ष राजस्व अधिकारी समेत एक दर्जन से अधिक लोगों से इंडियन एक्सप्रेस ने मामले के संबंध में बात की। उन्होंने कहा, “यातना सत्रों में बलवीर सिंह की सहायता करने वाले अधिकारियों के लिए और अधिक निलंबन हो सकते हैं। लेकिन आपराधिक कार्रवाई से बचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और गिरफ्तारी के बाद नौकरियां भी जा सकती हैं। दो पीड़ितों ने पहले ही अपनी शिकायतें वापस ले ली हैं और आने वाले दिनों में तीन और वापस ले सकते हैं।”