पिछले विधानसभा और संसदीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद विजयकांत की डीएमडीके पर राज्य में हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने के बाद राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा खोने का खतरा मंडरा रहा है। डीएमडीके को मई 2016 में विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद यह राज्यस्तरीय पार्टी के लिए वोट शेयर और सीटों की संख्या को लेकर चुनाव आयोग के सभी दिशा-निर्देशों को पूरा करने में विफल है। डीएमडीके का मत प्रतिशत 2011 के 7.88 फीसद से घटकर 2.4 फीसद पर आ गया और पार्टी का एक भी विधायक नहीं जीत सका। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए किसी राजनीतिक दल को कुल डाले गए मतों का न सिर्फ छह फीसद मत प्राप्त होना चाहिए। बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 16 मई के चुनाव में राज्य विधानसभा में कम से कम दो सदस्य भी होने चाहिए।

दिशा-निर्देश ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी को पिछले संसदीय चुनावों में छह फीसद वोट शेयर मिलना चाहिए और कम से कम एक सांसद होना चाहिए, जो डीएमडीके के पास नहीं है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जिन 14 संसदीय क्षेत्रों में राजग के सहयोगी दल के तौर पर चुनाव लड़ा, उसमें उसे सिर्फ 5.1 फीसद मत प्राप्त हुए। वह एक भी सदस्य नहीं चुने जाने की स्थिति में लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कुल मत का आठ फीसद मत भी हासिल नहीं कर सकी। 16 मई के चुनाव में डीएमडीके 104 सीटों पर लड़ी। उसे द्रमुक और भाजपा ने काफी रिझाया, लेकिन उसने आखिरकार वाइको नीत पीडब्ल्यूएफ के साथ चुनावी समझौता किया और सभी सीटों पर हार गई। विजयकांत खुद उलूनथुरपेट में तीसरे स्थान पर रहे।

साल 2006 के विधानसभा चुनाव में अच्छी शुरुआत करते हुए अपने पहले ही चुनाव में विजयकांत वृद्धाचलम से निर्वाचित हुए। उन्होंने एक साल पहले ही देसीय मुरपोक्कू द्रविड़ कषगम (डीएमडीके) का गठन किया था। पार्टी ने आठ फीसद वोट हासिल किए थे, जिसे 2009 के संसदीय चुनावों में बेहतर करते हुए 10.1 फीसद तक ले गए। 2011 के विधानसभा चुनाव में भी 7.88 फीसद मत डीएमडीके को मिले, जब उसने जयललिता नीत अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। पार्टी ने न सिर्फ 41 में से 29 सीटों पर जीत हासिल की थी। बल्कि वह मुख्य विपक्षी पार्टी भी बन गई थी। 14वीं विधानसभा के आखिर में डीएमडीके के आठ बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे विजयकांत से विपक्ष के नेता का पद छिन गया था।