इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए, दिल्ली की एक अदालत ने माना है कि उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया है। कोर्ट ने माना कि ताहिर हुसैन ने अपने समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ उकसाया था, जिसके बाद हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री है। अदालत ने सभी आरोपियों को आगे सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 28 अगस्त को पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि दंगे “सुनियोजित तरीके” से हुए और इसके लिए “अच्छी तरह से साजिश रची गयी” थी तथा भीड़ के नेता ताहिर हुसैन और अन्य सह-आरोपियों द्वारा कथित तौर पर इसे बढ़ावा दिया गया। अदालत ने कहा कि आरोपी ताहिर हुसैन ने उन्हें अपनी इमारत की छत पर जाने की सुविधा दी और अन्य सहायता प्रदान की ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हो सकें तथा दूसरे समुदाय के जानमाल को नुकसान हो।
प्रथम दृष्टया आरोपी ताहिर हुसैन अपने घर से और 24 तथा 25 फरवरी को चांद बाग पुलिया के पास मस्जिद से भी भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। अदालत ने कहा कि ताहिर के अलावा अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब आलम, सलमान, नजीम, कासिम, समीर खान ने भी दंगे भड़काए हैं। अदालत ने कहा कि हुसैन ने कथित रूप से अपने समुदाय को उकसाया और यह दावा करते हुए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धर्म के आधार पर कटुता को बढ़ावा दिया कि हिंदुओं ने कई मुसलमानों को मार डाला है और शेरपुर चौक पर उनकी दुकानों को आग लगा दी है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि वे चांद बाग पुलिया की तरफ से आए थे और उन्होने अंकित शर्मा को पकड़ा। जिसके बाद अंकित के शरीर पर चाकू से वार किए थे और फिर शव को नाले में फेंक दिया था। बता दें कि IB कर्मी अंकित शर्मा का शव पुलिस को एक नाले से मिला था। अंकित के परिजनों की तहरीर पर दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। कई दिनों तक फरार रहने के बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सरेंडर की कोशिश करते हुए पुलिस ने ताहिर हुसैन को गिरफ्तार किया था।