Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। रामचरितमानस से लेकर जातियों तक उन्होंने जो बयान दिए हैं, उसे लेकर वे निशाने पर आ गए हैं। अब समाजवादी पार्टी में ही उनके बयान का विरोध किया जा रहा है। सपा की नेता डॉ रोली मिश्रा ने उनके बयानों के विरोध में कई ट्वीट किए। अब इस पर स्वामी प्रसाद की भी प्रतिक्रिया आई है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया पलटवार

सपा नेता रोली मिश्रा के बयान पर पलटवार करते स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कहा- ना पिद्दी, ना पिद्दी का शोरबा। उन्होंने कहा कि ऐसी बचकानी बयानबाजी करने वालों को जवाब देना मेरी तौहीन होगी।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अपमान और गाली का विरोध करना और गाली को धर्म के नाम पर प्रयोग किया जाना और उसको हटाने की मांग करना। ये कोई आरोप नहीं है। बल्कि सम्मान और न्याय की मांग है। अगर हम सम्मान और गाली ना देने की बात करते हैं तो तमाम धर्म के ठेकेदारों के पेट में दर्द होता है इसलिए आज अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि एक हनुमानपीठ के शास्त्री ने अपनी सफाई देते हुए और ज्ञान बिखरते हुए एक परिभाषा लिखी की शूद्र वो हैं , जो संतुनल खो देते हैं। तो उनकी परिभाषा के मुताबिक, संतुलन जितने संत, महंत, धर्माचार्य और जाति विशेष के लोग हैं, उन्होंने संतुलन खोया है। उनकी परिभाषा के अनुसार ये सारे शूद्र और नीच हैं।

क्या बोली थीं डॉ रोली मिश्रा

इससे पहले सपा की महिला नेता डॉ रोली मिश्रा ने कहा कि प्रभु श्रीराम आस्थाओं का केंद्र है और भारत आस्थाओं का केंद्र है। श्रीराम को एक-एक घर में पूजा जाता है और भारत की पहचान सनातन से है। आपको ये आजादी संविधान में दी गई है कि आप जिसको चाहें उसको मानें। आप चाहें तो पत्थर को मानें, पत्थर को पूजें और आप चाहें तो पत्ते को पूजें। ऐसे में करोड़ों लोगों की आस्थाओं पर प्रश्न खड़ा करने की बात कहां से आती है।

उन्होंने आगे कहा कि रामचरितमानस 1500 शताब्दी पहले लिखी गई थी। आज आप उस पर बहस कर रहे हैं। क्या आप उसको एडिट कर सकते हैं? नहीं कर सकते। आस्थाओं और तर्क को अलग-अलग रखा जाता है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी मेरा परिवार है और अगर पार्टी में कुछ गलत होता है तो पार्टी की बेटी कैसे चुप रह सकती है। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को बाहरी बताते हुए कहा कि मैं सपा की नेता हूं और मौर्य डीलर हैं। 2012 से लेकर 2017 तक अखिलेश यादव का विरोध सबसे ज्यादा स्वामी प्रसाद मौर्य ने नेता प्रतिपक्ष बनकर किया।