सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान की जमानत से जुड़ी शर्त पर रोक के अपने आदेश के अनुपालन पर उत्तर प्रदेश सरकार से गुरुवार को जवाब मांगा है। यह मामला आजम खान की जमानत से जुड़ी इलाहाबाद हाई कोर्ट की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से जुड़ा है। सपा नेता ने यूपी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया है।

आजम खान ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उक्त शर्त उनके जौहर विश्वविद्यालय के एक हिस्से को ढहाने से संबंधित है। सपा विधायक की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि स्थगन आदेश के बावजूद यूपी सरकार ने जौहर विश्वविद्यालय का रास्ता बंद कर दिया है, जिससे परेशानियां आ रही हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर तारों से घेरा बांध दिया गया है, जिसके कारण यूनिवर्सिटी के अंदर कोई नहीं जा सकता और सारा काम रुक गया है।

वरिष्ठ वकील ने यूपी सरकार पर अवमानना का आरोप का लगाया और कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश की अवमानना की है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार से 19 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के दिए थे आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता (आजम खान) को लगता है कि यह अवमानना है तो वे याचिका दाखिल कर सकते हैं। दोनों पक्षों के जवाब दाखिल करने के बाद इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी। इसके पहले, सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर के जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय से जुड़ी भूमि पर कब्जा करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के कुछ हिस्से की जमीन को जब्त करने का आदेश दिया था।