सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कश्मीर में चल रही मौजूदा समस्या से राजनीतिक तौर पर निपटा जाना चाहिए और सब कुछ न्यायिक मानदंडों के भीतर नहीं संभाला जा सकता। शीर्ष अदालत ने सॉलीसीटर जनरल से भी कहा कि वे ‘एक्टिविस्ट’ वकील और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) के नेता भीम सिंह की इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में मदद करें। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि इस मुद्दे के विभिन्न आयाम हैं और इसलिए इससे राजनीतिक तौर पर निपटा जाना चाहिए और इसके अलावा सब कुछ को न्यायिक मानदंडों के भीतर नहीं संभाला जा सकता। पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। पीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य की विपक्षी पार्टियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात का जिक्र किया। पीठ ने सिंह से भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने को कहा।
जब वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि ‘आरएसएस निर्देशित’ सरकार उन्हें नहीं आमंत्रित करेगी तो अदालत ने सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि वे मोदी से सिंह की मुलाकात में मदद करें। वैसे पीठ ने सिंह के इस कथन पर आपत्ति जताई। पीठ ने कहा- यहां राजनीतिक बयान नहीं दें। आप हमें बताएं क्या आप जाना चाहते हैं और राजनीतिक नेतृत्व से मिलना चाहते हैं या नहीं। सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की व्यवस्था कराने के संबंध में वे व्यक्तिगत रूप से गृह सचिव से बात करेंगे।
अपनी याचिका में सिंह ने विभिन्न तरह की राहतों की मांग की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने की भी मांग की। पीठ ने घाटी में जमीनी स्थिति के बारे में केंद्र की ओर से दायर स्थिति रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। शुरुआत में केंद्र ने कहा कि जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के पास पहले ही मामला है और इसलिए लंबित याचिका का निस्तारण सुप्रीम कोर्ट में किया जाए। पीठ ने कहा कि भीम सिंह का बयान न्यायिक तौर पर प्रासंगिक नहीं हो सकता लेकिन वे राजनीतिक तौर पर प्रासंगिक हो सकते हैं। इससे पहले केंद्र ने पांच अगस्त को अदालत में स्थिति रिपोर्ट दायर की थी।