सर्वोच्च न्यायालय ने ताजमहल को लेकर सरकारों की बेरुखी पर चिंता जताते हुए कहा है कि अगर एक बार ताजमहल खत्म हो गया तो आपको दूसरा अवसर नहीं मिलेगा। उधर केंद्र ने अदालत को सूचित किया उसने आगरा को धरोहर शहर घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर भेजने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा है। सर्वोच्च न्यायालय ने ताज मामले पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि आगरा में विश्व प्रसिद्ध ताजमहल की हिफाजत और संरक्षा के लिए दृष्टिपत्र तैयार करते समय इसमें ताज ट्राइपेजियम जोन में प्रदूषण और वहां चल रहे उद्योगों जैसे मुद्दों को भी ध्यान में रखना चाहिए। ध्यान रहे, ताज ट्राइपेजियम जोन (टीटीजेड) करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है। इसके दायरे में उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिले व राजस्थान का भरतपुर जिला शामिल है।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता के पीठ ने कहा कि प्राधिकारियों को ताजमहल के संरक्षण के मुद्दे को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय से कहा कि केंद्र के इस पत्र का जवाब एक महीने के भीतर दिया जाएगा। केंद्र ने पीठ को यह भी बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ताजमहल के लिए एक धरोहर योजना तैयार कर रहा है और तीन महीने के भीतर ही इसे यूनेस्को के समक्ष पेश किया जाएगा। पीठ ने कहा कि ताजमहल को संरक्षित करने के लिए प्राधिकारियों को अनेक बिंदुओं पर विचार करना होगा। पीठ ने हरित क्षेत्र के साथ ही इस इलाके में कार्यरत उद्योगों और होटल और रेस्तरां की संख्या के बारे में जानकारी चाही।
यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि दिल्ली में नियोजन और वास्तुकला विद्यालय एक दृष्टिपत्र तैयार कर रहा है। ताजमहल के संरक्षण के अलावा वह इन सभी बिंदुओं से निबटने के लिए भी एक व्यापक योजना पर विचार कर रहा है।

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बाद उसे आगा खान फाउंडेशन, इंटैक और अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद जैसी विशेष दक्षता वाली संस्थाओं से भी इस बारे में सुझाव मिले हैं। नाडकर्णी ने कहा कि केंद्र ने आगरा को ‘धरोहर शहर’ घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजने के लिए केंद्र को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी ताज के लिये धरोहर योजना तैयार करने की प्रक्रिया में है जिसे यूनेस्को के पास भेजा जाएगा। आगरा को ‘धरोहर शहर’ घोषित करने के बारे में एक महीने के भीतर केंद्र के पत्र का जवाब दिया जाएगा।

इससे पहले, ताजमहल के संरक्षण के लिये जनहित याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चंद्र मेहता ने कहा कि यहां हरित क्षेत्र कम हो गया है और यमुना नदी के तट के आसपास अतिक्रमण है। शीर्ष अदालत के 1996 के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस इलाके में अनेक उद्योग शुरू हो गए हैं जिनमे से अनेक अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यायालय के इस आदेश के अनुसार इलाके में 511 उद्योग थे। न्यायालय ने कहा था कि इनमें से 292 के मामले में अलग से विचार किया जाएगा। उप्र सरकार की वकील ऐश्वर्या भाटी ने जब यह कहा कि इस समय इलाके में 1167 प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां हैं तो पीठ ने कहा, 1996 में न्यायालय से जो कहा गया था उसमें अब काफी बदलाव आ चुका है। पहले 511 उद्योग थे और अब इनकी संख्या 1167 हो गई है। क्या इन सब पर विचार किया गया है? इस पर परियोजना समन्वयक ने कहा कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। इस मामले में अब 25 सितंबर को आगे विचार किया जाएगा।