अनंतकृष्णन जी
महाराष्ट्र में हुई एक वीभत्स घटना के मामले में सजा काट रहे आरोपियों को 16 साल बाद कोर्ट ने अपने गलती का एहसास करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। साल 2003 में जालना के भोकरधान के एक घर में 6 बदमाश घुसे और परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी और घर की दो महिलाओं के साथ गैंगरेप भी किया। घटना के बाद महाराष्ट्र पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 6 बदमाशों को गिरफ्तार किया और नासिक सेशन कोर्ट में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। इस मामले में अंकुश मारुति शिंदे,राज्य अप्पा शिंदे, बापू अप्पा शिंदे, अंबादास लक्ष्मण शिंदे, राजू मासू शिंदे, सुरेश शिंदे को आरोपी बनाया गया। अब जब मामले उच्चतम न्यायालय के पास आया है तो मामले की कुछ और ही कहानी सामने आई।
सुनवाई के दौरान पता चला कि इस वारदात में जो महिला गैंग रेप का शिकार होने और गंभीर रूप से घायल होने के बाद बच गई थी, उसने पुलिस रिकॉर्ड में बदमाशों की फोटो देखकर उनमें से 4 की पहचान की थी, लेकिन पुलिस ने उन 4 बादमाशों के बजाए इन 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।
मामले में जस्टिस एके सिकरी,एस अब्दुल नजीर और एमआर शाह ने इस मामले में राज्य पुलिस को भी लताड़ लगाते हुए मामले की गलत जांच के लिए फटकार लगाई है। बेंच का कहना है कि इन 6 लोगों को पांच लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए और इन्हें बरी किया जाना चाहिए। बिना जुल्म के इन लोगों ने 16 साल जेल में बिताए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा इस मामले की फिर से जांच होनी चाहिए और जिससे भी यह गलती हुई है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी मामले में जांच पड़ताल के लिए तीन महीने का वक्त दिया है।
ऐसे सामने आया मामला-
सेशन कोर्ट ने जून 2006 में सभी 6 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। इसके बाद साल 2007 में हाई कोर्ट ने इनमें से तीन की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी। मामला इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट से फांसी की सजा पाए 3 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की अपील खारिज कर दी और फांसी की सजा बरकरार रखी। फांसी की सजा मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दोषियों ने पुनर्विचार याचिका दायर की जिसकी सुनवाई के दौरान पता चला कि राज्य सरकार ने जिन 3 दोषियों की उम्रकैद को फांसी की सजा में तब्दील करने की मांग की थी,उनकी तरफ से कोई पैरवी ही नहीं की गई। ऐसे में कोर्ट ने मामले को फिर से सुनने की मांग की। जिसके बाद परत दर परत मामला सामने आया।