कई चर्चित मामलों की जांच करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस जीटी नानावटी का शनिवार सुबह निधन हो गया। जस्टिस नानावटी ने गुजरात के गोधरा कांड के साथ-साथ 1984 के सिख विरोधी दंगों की भी जांच की थी।
2002 के गुजरात दंगों और 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले आयोग का नेतृत्व करने वाले जस्टिस जीटी नानावटी का शनिवार सुबह अहमदाबाद स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 86 साल के थे। परिवार के सदस्यों ने कहा कि नानावटी का शनिवार दोपहर 1.15 बजे हृदय गति रुकने से निधन हो गया। गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के मुताबिक, जस्टिस नानावटी का अंतिम संस्कार शनिवार शाम करीब 5:15 बजे थलतेज श्मशान घाट में किया जाएगा।
गोधरा में ट्रेन जलने और उसके बाद के दंगों की जांच के लिए नियुक्त न्यायमूर्ति नानावटी के आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद के साथ-साथ पुलिस को भी क्लीन चिट दे दी थी। दंगों की जांच के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2002 में इस आयोग की नियुक्ति की थी। आयोग को जांच पूरी करने के लिए करीब छह-छह महीने का 24 बार विस्तार दिया गया था। जिसके बाद 2014 में आयोग ने अपनी जांच पूरी की थी। आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके उस समय के कैबिनेट सहयोगियों, वरिष्ठ अधिकारियों और कुछ दक्षिणपंथी संगठनों के पदाधिकारियों की भूमिकाओं की भी जांच की थी।
वहीं नानावटी को एनडीए सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए भी नियुक्त किया था। वह नानावटी आयोग के एकमात्र सदस्य थे। न्यायमूर्ति नानावटी का जन्म 17 फरवरी, 1935 को हुआ था और उन्होंने 1958 में बॉम्बे उच्च न्यायालय से अपने कैरियर की शुरुआत की थी।
उन्हें 1979 में गुजरात उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 1993 में उड़ीसा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में उन्होंने 6 मार्च, 1995 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने से पहले उड़ीसा और गुजरात उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। वह 16 फरवरी, 2000 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।