देश में जहां एक तरफ जहां UAPA कानून के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई तेज हो रही है तो ऐसे समय में कानूनों के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अहम टिप्पणी सामने आई है। उन्होंने कहा कि नागरिकों की असहमति को दबाने के लिए किसी भी कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ की यह टिप्पणी भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच कानूनी संबंधों पर एक कार्यक्रम के दौरान सामने आई। उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून जिसमें आतंकवाद विरोधी कानून भी शामिल है, का इस्तेमाल नागरिकों के असंतोष या उत्पीड़न को दबाने में नहीं किया जाना चाहिए।
अर्णब गोस्वामी बनाम राज्य के अपने फैसले का जिक्र करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी कोर्ट्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह जनता की रक्षा की कतार में सबसे आगे खड़े रहे ताकि नागरिक स्वतंत्रता से वंचित न रहें। उन्होंने कहा कि एक दिन के लिए भी आजादी का नुकसान बहुत ज्यादा होगा। उनका यह बयान 84 वर्षीय कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत पर उपजी नाराजगी के बीच आया है। बताते चलें कि 84 साल के स्टेन स्वामी को UAPA कानून के तहत एल्गर परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया था। स्वास्थ्य के आधार पर वह जमानत की लड़ाई लड़ रहे थे कि इसी बीच मुंबई स्थित जेल में उनका निधन हो गया।
पिछले दिनों UAPA कानून के इस्तेमाल को लेकर कई मामले सुर्खियों में बनें। हाल ही में असम के एक नेता अखिल गोगाई 1। 5 साल जेल में रहने के बाद रिहा हुए, उन्हें नागरिकता कानून बिल के हिंसक विरोध प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जेल से बाहर आते ही उन्होंने इस कानून के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आगाज किया है। इसी तरह पिछले दिनों कश्मीर में एक शख्स 11 साल बाद जेल से रिहा हुआ, वह आतंकवाद के आरोप में 11 साल तक जेल में बंद रहा और आखिर में निर्दोष पाया गया।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत सबसे पुराना और सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते बहुसांस्कृतिक, बहुलवादी समाज के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है। जहां संविधान इनके अधिकारों के प्रति आस्था और सम्मान रखता है। इस मौके पर उन्होंने अमेरिका की कानून व्यवस्था की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि अमेरिका का प्रभाव भारत के न्यायशास्त्र पर देखा जा सकता है। अमेरिका का प्रभाव भारत के संविधान के दिल और आत्मा पर देखा जा सकता है। उन्होंने अनुच्छेद 21 का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का अधिकार है, वहीं अमेरिका का बिल ऑफ राइट्स भी कहता है कि हर व्यक्ति को कानून की उचित प्रक्रिया का अधिकार है, कोई भी शख्स जीवन, स्वतंत्रता या संपत्ति से वंचित नहीं होगा।