Bihar Elections: इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, उसे लेकर अभी से ही तमाम पार्टियां तैयारी में जुट चुकी हैं। यहां भी बीजेपी की तरफ से अभी से ही जेडीयू के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश हो रही है, पूरा प्रयास है कि जनता के सामने एकजुट होकर एनडीए को दिखाया जाए। यह नेरेटिव भी सेट करने की कोशिश है कि इंडिया गठबंधन में तकरार है, लेकिन एनडीए सिर्फ जनता के लिए काम करती है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस से तालमेल
इस नेरेटिव को सेट करने में बड़ी भूमिका प्रेस कॉन्फ्रेंस साबित हो रही हैं। दोनों जेडीयू और बीजेपी की तरफ से बिहार के अलग-अलग जिलोंमें, अलग-अलग स्तर पर ऐसी कॉन्फ्रेंस की जा रही हैं। बीजेपी के मुताबिक फरवरी से अभी तक 60 के करीब ऐसी प्रेस कॉन्फ्रेंस हो चुकी हैं, इसके अलावा एनडीए के दूसरे साथियों के साथ कॉर्डिनेशन मीटिंग भी हो रही हैं। इस बारे में एक बीजेपी नेता ने काफी विस्तार से बताया है।
एकजुटता की ताकत
वे कहते हैं कि इंडिया गठबंधन जैसा हाल नहीं है, एनडीए पूरी तरह एकजुट है। अभी सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है, लेकिन प्रचार अभी से शुरू कर दिया गया है। हमारा संदेश स्पष्ट है- यह एक आपसी तालमेल वाला गठबंधन है जो नतीजे दिखाना जानता है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बिहार बीजेपी प्रवक्ता सुमित शशांक ने तो यहां तक कहा है कि वे पूरी तरह चुनाव के लिए तैयार हैं क्योंकि उन्होंने इस राज्य के लिए काफी काम किया है।
ऑपरेशन सिंदूर बनेगा गेमचेंजर?
वैसे इस चुनाव में एनडीए कुछ खास योजनाओं के जरिए भी बिहार की जनता को लुभाने की कोशिश कर रही है। बात चाहे आयुष्मान भारत योजना की हो या फिर मुख्य मंत्री महिला उद्यमी योजना की, पूरा प्रयास किया जा रहा है कि जनता को समझाया जाए कि राज्य का विकास एनडीए सरकार के साथ ही हो सकता है। बताया जा रहा है कि इन योजनाओं के अलावा ऑपरेशन सिंदूर को भी बीजेपी एक मुद्दे की तरह इस्तेमाल करने वाली है। सभी को यह भी बताया जाएगा कि जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा सर्वदलीय प्रतिनिमंडल के एक डेलिगेशन के प्रमुख बन कई देशों के दौरे पर गए थे।
जातियों पर खास फोकस
कास्ट सेंसस को लेकर भी एनडीए अब ज्यादा ताकत के साथ जमीन पर उतनरे वाली थी। अभी तक तो बीजेपी इस मुद्दे पर थोड़ा असरहज थी, विपक्ष लगातार दबाव भी बना रहा था, लेकिन अब जब केंद्र ने ही जातिगत जनगणा का ऐलान कर दिया है, ऐसे में बीजेपी अब ना सिर्फ इसका क्रेडिट लेना चाहती है बल्कि जाति राजनीति का केंद्र चल रहे बिहार में इसका भरपूर फायदा भी उठाना चाहती है।
अखिलेश का जिक्र कर जयंत चौधरी ने कही बड़ी बात
इस बारे में एक बीजेपी नेता कहते हैं कि हमारे पास कुल 16 यादव चेहरे हैं। आरजेडी जब भी यादवों की बात करती है, उसका मतलब सिर्फ एक परिवार होता है। लेकिन एनडीए खेमे में हर जाति, हर बैकग्राउंड का आदमी ऊपर उठ सकता है। पिछले कई सालों से जैसी बिहार की राजनीति चल रही है, यहां पर सवर्ण जाति वाले बीजेपी के साथ रहे हैं, यादव और मुस्लिम आरजेडी के साथ और कुर्मी और अति पिछड़ा जाति (MBCs) वाले नीतीश कुमार के साथ।
महिला वोटर पर खास नजर
वैसे जातियों के अलावा बीजेपी महिलाओं को भी एक बड़े वोटबैंक के रूप में देख रही है। मानकर चला जा रहा है कि नीतीश कुमार की छवि और पीएम मोदी की योजनाओं की वजह से आधी आबादी भी एनडीए के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी। इस बारे में एक बीजेपी नेता का कहना है कि जब पैदा होते ही एक लड़की के बैंक अकाउंट में पैसा जाता है, उसके नौवी क्लास में जाते ही एक साइकिल दी जाती है। 10वीं में आने पर फिर अकाउंट में पैसा जाता है। वैसे महिलाओं के अलावा मखाना बोर्ड का गठन भी एनडीए निर्णनायक मान रहा है।
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Vikas Pathak और Jatin Anand की रिपोर्ट