पवन पंघाल की मौत के मामले में दिए बयान पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अभी भी कायम हैं। उनका कहना है कि लड़ने के लिए ताकत जरूरी है। अगर ऐसे ही हिम्मत हार जाएंगे तो जीवन कैसे जिया जा सकता है।

दुष्यतं चौटाला का कहना था कि 2013 में उनके पिता और दादा जब जेल गए तो वो भी 22-23 साल के थे। वो भी खुदकुशी कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं किया। हालात से लड़े और संघर्ष से ही अपना रास्ता तैयार किया। उनका मानना है कि एक भरती को जीवन का आखिरी लक्ष्य नहीं बनाया जा सकता। अगर ऐसा होगा तो जीवन बहुत मुश्किल हो जाएगा।

भिवानी जिले के पवन पंघाल ने फौज भर्ती के लिए ओवर एज हो जाने पर आत्महत्या कर ली थी। प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इस घटना को लेकर जो प्रतिक्रिया दी थी उसकी काफी आलोचना हुई। डिप्टी सीएम ने आत्महत्या करने वाले पवन पंघाल को कमजोर बताया था और साथ ही ये भी कहा था कि वो भर्ती के लायक ही नहीं था वरना हरियाणा पुलिस की भर्ती निकली थी उसमें भी जा सकता था। आज वो अपने पुराने बयान पर कायम दिखे। वह बोले कि मेरा स्टैंड पहले वाला है।

उधर, सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने उनकी आलोचना की तो कुछ ने उनकी हां में हां मिलाई। वीरेंद्र यादव ने लिखा कि आम जनता को अपनी बराबरी मे मत तोला करें। आप के पापा-दादा जब जेल गए थे तब भी और उससे पहले भी और आज भी। आप सब के लिए किसी चीज की कमी नही है। आम जनता एक भर्ती के लिए जीजान एक कर देती है। भर्ती के लिए फार्म भरे जाते वो फ्री मे नहीं भरे जाते। पैसे लगते हैं कर दो फार्म फ्री। आम लोग सारे फार्म भर लेंगे।

रमेश वधवा ने लिखा कि आत्महत्या करने से कोई समस्या हल नहीं होती। सभी तरह की परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया जाना चाहिए। सतर्क व सावधान रह सकारात्मक कदम उठाएं। सचमुच अपने आप को खत्म करना बहादुरी नहीं है।