Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के साथ ही बिहार में मंत्रियों के बयानों से सियासी उठापटक जारी है। पहले कानून मंत्री को लेकर बखेड़ा खड़ा हुआ था और अब कानून मंत्री के दिए गए बयान, ‘मैं चोरों का सरदार हूं’ पर सियासी घमासान मचा है। जब न्यूज-24 के रिपोर्टर ने बिहार के कृषिमंत्री और आरजेडी नेता सुधाकर सिंह से इस मामले पर बात की तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वो अपने बयान पर कायम हैं। जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि आप कैबिनेट के बाद सीधे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के घर चले गए थे?
इस सवाल का जवाब देते हुए बिहार के कृषिमंत्री ने बताया, ‘मैं तो सीधे अपने घर आया था और खाना खाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जी (लालू प्रसाद यादव) के पास गया था। मैं तो समय-समय पर उनसे मुलाकात करने के लिए जाता रहता हूं इसमें कोई नई बात तो नहीं है और मीडिया के लिए ये कोई खबर तो नहीं है कि मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने चला जाऊं तो कोई अचंभा हो गया हो जिसे मीडिया अपनी खबरों में चला दे।’ जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि जब आप लालू जी से मिलने गए थे तो क्या आपके इस बयान (चोरों का सरदार) पर भी चर्चा हुई थी? तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, इस विषय पर चर्चा नहीं हुई थी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से नहीं हुई बयान को लेकर चर्चा
सुधाकर सिंह ने बताया, ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की जानकारी में सबकुछ है लेकिन हमारे बीच इस बात को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। इसके बारे में उन्हें जो कुछ करना होगा वो करेंगे।’ जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि आपने जो बयान दिया पब्लिक प्लेटफॉर्म पर वो बातें आपको पार्टी के अंदर करनी चाहिए, मुख्यमंत्री से करनी चाहिए? कि विभाग में इस तरीके से भ्रष्टाचार फैला हुआ है? तो इसके जवाब में कृषिमंत्री ने कहा, ‘हम तो 17 साल से पब्लिक प्लेटफॉर्म पर बोल रहे हैं पब्लिक प्लेटफॉर्म पर विधानसभा के भीतर और विधानसभा के बाहर भी।’
‘मंत्री हैं कोई सुपरमैन नहीं है’
वहीं जब उनसे रिपोर्टर ने ये पूछा कि अब आप सरकार में हैं मंत्री हैं तो फिर ऐसा बयान क्यों? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘क्या फर्क पड़ता है मंत्री हैं तो क्या हुआ। मंत्री कोई सुपरमैन नहीं होते हैं, कोई एक्स्ट्रा कॉन्स्टीट्यूशनल अथॉरिटी नहीं होते एक लोकतांत्रिक प्रणाली में हम भी एक स्टेकहोल्डर हैं जो अपनी बात को रखते रहते हैं।’ रिपोर्टर ने उनसे पूछा आपको डर नहीं लगता है आप लीक से हटकर चल रहे हैं? तो उन्होंने कहा, ‘डरना क्या है हम चुनाव लड़े हारे, टिकट नहीं मिला चुनाव नहीं लड़े फिर टिकट मिला हारते-हारते बचे मतलब जीत गए।’
हर 5 साल के बाद जनता रिन्यूअल करती है
उन्होंने आगे कहा, ‘जब आप राष्ट्रसेवा और राज्यसेवा में होते हैं तो डर नाम की कोई चीज नहीं होनी चाहिए। मंत्रिपद कोई स्थाई जगह नहीं है किसी के लिए भी जिस पद पर हम लोग काम कर रहे हैं वो कोई स्थाई पद नहीं होता है वो तो पब्लिक के मेंडेट पर हम लोग 5 सालों के लिए रिन्यूवल होते हैं। कोई भी सियासत में स्थायी नहीं होता है अच्छे काम करने वाला आदमी भी चुनाव हार जाता है और खराब काम करने वाला आदमी भी चुनाव जीतकर चला आता है। ये कोई सरकारी नौकरी तो है नहीं 60 साल की गारंटी के साथ चले।’