बीते 2014 के चुनाव में सीमांचल की चार, कोशी की दो और पूर्वी बिहार की दो यानी आठ सीटों पर लड़ी भाजपा अबकी (2019) सिर्फ एक सीट अररिया पर लड़ रही है। यहां भी बीते चुनाव और 2018 में हुए उपचुनाव में हारे हुए प्रदीप सिंह पर फिर दांव लगाया है। बाकी सात सीटें जद (एकी) को दी गई हैं। भाजपा को इन सभी सीटों पर पराजय का मुंह देखना पड़ा था। यानी जद (एकी) के तीर के सहारे भाजपा अपनी मौजूदगी बरकरार रखने की कोशिश में है। सीमांचल की चार सीटों में से तीन किशनगंज , पूर्णिया, कटिहार। कोशी की दो सीटों सुपौल और मधेपुरा और पूर्वीबिहार की भागलपुर और बांका सीटें बंटवारे में जद (एकी) के हिस्से गई है। 2014 के मिले मतों पर गौर करने पर जाहिर होता है कि जीत किसी के लिए आसान नहीं है। इन सीटों पर चुनाव समीकरण इस दफा बीते चुनाव से थोड़ा अलग है। उस वक्त राजद और कांग्रेस साथ थे। इस बार भी हैं। भाजपा और जद (एकी) अलग अलग लड़े थे। मगर इस बार साथ हैं।
पूर्णिया: पूर्णिया संसदीय क्षेत्र सीमांचल का हिस्सा है। बीते 2014 का चुनाव जद (एकी) के संतोष कुशवाहा 418826 मत लाकर जीते थे। इन्होंने भाजपा के उदय सिंह को पराजित किया था। उन्हें 302157 वोट मिले थे। कांग्रेस के अमरनाथ तिवारी 124344 मत मिले थे। अबकी भाजपा-जद (एकी) साथ हैं। मगर भाजपा के उदय सिंह ने इस दफा पाला बदल कांग्रेस का पंजा थाम लिया है और मुकाबला भी सीधा दिख रहा है।
अररिया: अररिया सीट पर राजद के तस्लीमुद्दीन जीते थे। उनको 407978 वोट मिले थे। भाजपा के प्रदीप सिंह को 261474 मत मिले थे। वहीं जद (एकी) के विजय कुमार मंडल को 221769 वोट मिले थे। मगर तस्लीमुद्दीन के इंतकाल के बाद 2018 में हुआ उपचुनाव भाजपा-जद (एकी) मिलकर लड़ा। फिर भी महागठबंधन जीता। तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज राजद टिकट से लड़े और 509334 मत लेकर भाजपा के प्रदीप सिंह को हराया। इन्हें 447346 वोट मिले।
किशनगंज: किशनगंज सीट पर कांग्रेस के मो. असराऊल हक 493461 मत लाकर जीते थे। दूसरे स्थान पर भाजपा के दिलीप कुमार जायसवाल 298849 मत रहे थे। जद (एकी)के अखतारुल इमाम को 55822 वोट मिले थे। इस दफा इस सीट पर भाजपा ने जद एकी को दे दी। इनके उम्मीदवार महमूद अशरफ हैं। तो कांग्रेस के भी मुसलिम ही उम्मीदवार हैं। राजग ने बिहार की 40 सीटों में से केवल दो पर ही मुसलिम उम्मीदवार उतारे हैं। किशनगंज और खगड़िया से। इन दोनों में से एक जद (एकी), एक लोजपा का वर्तमान सांसद महबूब अली कैसर हैं।
भागलपुर: पूर्वी बिहार की भागलपुर सीट भाजपा की प्रतिष्ठा वाली सीट मानी जाती है। मगर पिछला चुनाव शाहनवाज हुसैन राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल से हार गए थे। शैलेश कुमार को 367623 और शाहनवाज को 358138 मत हासिल हुए थे। इस दफा यह सीट जद (एकी) के खाते में गई है। इसने विधायक अजय मंडल को उतारा है। तो राजद के शैलेश कुमार है। मुकाबला सीधा होने की उम्मीद है।
बांका: बांका पूर्वी बिहार की दूसरी सीट है। यह सीट भी भाजपा ने जद (एकी) को दे दी है। जबकि भाजपा की पुतुल देवी 275006 वोट लाकर दूसरे स्थान पर थी। इनको राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने 285150 वोट लाकर हराया था। इस बार यहां से जद (एकी) ने अपने बेलहर के विधायक गिरधारी यादव को उतारा है। मगर पुतुल देवी ने बागी बन निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया है।
कोशी: कोशी क्षेत्र की सुपौल सीट से कांग्रेस की रंजिता रंजन 332927 वोट लाकर पिछला चुनाव जीती थी। यहां दूसरे स्थान पर जद (एकी) के दिलेश्वर कामत रहे थे। इनको 273255 और भाजपा के कामेश्वर चौपाल को 249693 वोट मिले थे। अबकी भी जद (एकी) से दिलेश्वर कामत ही उम्मीदवार है। इनका सीधा मुकाबला कांग्रेस से तय है।
मधेपुरा: मधेपुरा कोशी की दूसरी सीट है। यहां से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राजद से 368937 वोट लेकर जीते थे। इन्होंने जद (एकी) के शरद यादव को शिकस्त दी थी। उनको 312728 वोट मिले थे। मगर अबकी हालात बदले हैं। इस बार शरद यादव महगठबंधन उम्मीदवार हैं। और राजद के लालटेन से खड़े हैं। राजद नेता तेजस्वी की पप्पू यादव से खुंदक है। इन्होंने कांग्रेस से साफ कह दिया है कि यदि पप्पू यादव मधेपुरा सीट न लड़े तभी इनकी पत्नी रंजिता रंजन सुपौल से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। वरना उनका भी टिकट कटेगा।
कटिहार: कटिहार सीट पर 316552 लाने वाली भाजपा ने 100765 वोट लाए जद (एकी) को दे दी। भाजपा से निखिल कुमार चौधरी और जदयू से डॉ रामप्रकाश महतो चुनाव लड़े थे। यहां से राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर 431292 मत लेकर जीते थे। इस दफा वे कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं। इनके मुकाबले जद (एकी) ने दुलाल चंद्र गोस्वामी को उतारा है। यहां भी संघर्ष सीधा है।

