नैनीताल हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद उत्तराखंड की राज्य सरकार को लोकसभा चुनाव से पहले स्थानीय निकाय चुनाव कराने पड़ रहे हैं। यह चुनाव उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिए अग्नि परीक्षा माने जा रहे हैं। दोनों राजनीतिक दलों के बीच इन चुनाव में सीधी टक्कर हो रही है। वैसे इन दोनों राजनीतिक दलों के अलावा क्षेत्रीय दल, उत्तराखंड क्रांति दल, बसपा, सपा, वामपंथी और आप ने भी चुनाव के मैदान में ताल ठोकी है। परंतु इन दलों का भाजपा और कांग्रेस के सामने कोई राजनीतिक वजूद नहीं है। भाजपा और कांग्रेस ने नगर निकायों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

उम्मीदवारों की घोषणा होते ही दोनों दलों की फूट सामने आई है। साथ ही राज्य में आयाराम-गयाराम की राजनीति शुरू हो गई है। दोनों दलों के बागी उम्मीदवार भी मैदान में ताल ठोककर राजनीतिक समीकरण बिगाड़ने में लगे हैं। उत्तराखंड के 18 साल के इतिहास में पहली बार भाजपा-कांग्रेस का नेतृत्व दूसरी पीढ़ी का है। इसलिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और विरोधी दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह दोनों के ही सामने अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए एक समान चुनौतियां है। लोकसभा चुनाव करीब होने से स्थानीय निकाय चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण हो गए हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में करीब 25 लाख मतदाता दोनों दलों के नेताओं की अग्नि परीक्षा लेंगे।

जहां टिकट बंटवारे में सत्तारूढ़ दल भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सांसद भुवन चंद्र खंडूडी के समर्थकों की उपेक्षा हुई, वहीं कांग्रेस में हरीश रावत और किशोर उपाध्याय के समर्थकों की घोर उपेक्षा की गई। इस कारण दोनों नेताओं के समर्थक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं या निर्दलीय रूप से बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में डटे हैं और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। भाजपा में मुख्यमंत्री के बाद सबसे ताकतवर नेता के रूप में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक उभरकर आए। उनके गृह जनपद हरिद्वार में उनकी जमकर चली। हरिद्वार में वे अन्नू कक्कड़ और शिवालिक नगर नगर पालिका में राजीव शर्मा को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे।

वहीं कांग्रेस में प्रीतम सिंह के बाद कांग्रेस में सबसे ताकतवर नेता के रूप में संजय पालीवाल उभरकर आए। हरिद्वार नगर निगम जैसी महत्त्वपूर्ण सीट के लिए पार्टी आलाकमान ने अनीता शर्मा को मेयर का टिकट दिया और पालीवाल को हरिद्वार में पार्षदों के टिकट बांटने का पूर्ण अधिकार दिया गया। समझदारी दिखाते हुए संजय पालीवाल ने कांग्रेस के अम्बरीश, मुरली मनोहर, सतपाल ब्रह्मचारी, विकास चौधरी, प्रदीप चौधरी गुटों को बड़ी खूबसूरती से साधते हुए उन्हें ही अपने-अपने क्षेत्रों में पार्षदों के टिकट वितरण करने की छूट दी। इसका लाभ कांग्रेस को चुनाव में कितना मिलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। देहरादून में अन्नू कक्कड़ को मेयर का टिकट दिया। कांग्रेस ने देहरादून में पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा। देहरादून सीट पर मुख्यमंत्री तथा हरिद्वार सीट पर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की इज्जत दांव पर लगी हुई है। कांग्रेस ने हल्द्वानी नगर निगम सीट पर नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस की कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश को मेयर पद पर चुनाव मैदान में उतारा है। इस कारण यह सीट महत्त्वपूर्ण हो गई है। यह चुनाव इंदिरा और उनके बेटे का राजनीतिक भविष्य तय करेगा।