कर्नाटक के बेंगलुरु में डॉ भीमराव अंबेडकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में 6 छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। ये छात्र जैन यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज के छात्र हैं। छात्रों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें बीआर अंबेडकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते देखा जा सकता है। हालांकि, कॉलेज ने छात्रों को सस्पेंड कर जांच के लिए एक कमिटी का गठन किया है। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि नाटक का उद्देश्य देश में जाति-वादी व्यवस्था को उजागर करना था, लेकिन कुछ चीजें आपत्तिजनक थीं इसलिए लड़कों को निलंबित कर दिया गया है।

नाटक का प्रदर्शन करने वाले ग्रुप ने मांगी माफी

ये छात्र कॉलेज द्वारा आयोजित एक युवा उत्सव में प्रदर्शन कर रहे थे। इस नाटक का मंचन सीएमएस के एक थिएटर ग्रुप द डेलॉयज बॉयज ने किया था। इसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए ग्रुप ने कहा कि नाटक भेदभावपूर्ण नहीं था और उसने सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी है। हालांकि, अब यह अकाउंट दिखाई नहीं दे रहा है, शायद उसे डिएक्टिवेट कर दिया गया है।

विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से इस मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक अनुशासनात्मक समिति का गठन किया है।

इस बीच, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि जनता से माफी मांगी गई है और मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ” नाटक का इरादा देश में जाति-विरोधी व्यवस्था को उजागर करना था। जैसे ही हमें पता चला कि नाटक में कुछ आपत्तिजनक है, तुरंत लड़कों को निलंबित कर दिया गया। हमने छात्रों के माता-पिता को भी फोन किया और उन्हें घटना की जानकारी दी। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय ने एक अनुशासनात्मक समिति भी बनाई है जो जांच के बाद इस मामले में निर्णय लेगी।”

दर्ज की गई शिकायत

राज्य में वंचित बहुजन आघाडी के सदस्य अक्षय बंसोडे ने भी महाराष्ट्र के नांदेड़ में पुलिस अधीक्षक से छात्रों और विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज की है।

बंसोडे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया, “यह प्रदर्शन जातिवादी है और गलत इरादों के साथ किया गया है। समुदाय और इससे संबंधित लोगों का जानबूझकर अपमान किया गया है। इसके अलावा, डॉ बाबासाहेब अंबेडकर को लेकर अपमानजनक बयान भी बड़े पैमाने पर अत्यधिक आक्रामक हैं, जो कलाकारों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के इरादे को दर्शाता है क्योंकि विभिन्न जांचों के माध्यम से इस प्रदर्शन को मंच पर प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई और इसे सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया गया।”