Delhi Government Mohalla Clinics: दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के बनाए गए मोहल्ला क्लीनिक इस समय दवाओं के संकट से जूझ रहे हैं। पिछले तीन महीने से मरीजों को यही कहा जा रहा है कि यह दवा स्टॉक से बाहर है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बल्ड क्लॉटिंग की बीमारी से जूझ रहे अशोक और संजय कुमार दवाई पाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं। सितंबर के महीने में हालात काफी गंभीर हो गए थे जब मरीजों और डॉक्टरों के बीच में झगड़ा हो गया था। ऐसा इस वजह से हुआ था क्योंकि रक्तस्राव को रोकने वाला इंजेक्शन फिर से देने के लिए मना कर दिया था।

इंडियन एक्सप्रेस ने साउथ ईस्ट, ईस्ट और वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के छह मोहल्ला क्लीनिकों की पड़ताल की। वहां पर मिला कि मरीजों को मिलने वाली जरूरी दवाओं की भारी कमी है। अगर अब कारण की बात की जाए तो वेंडर को सही टाइम पर पैसे का भुगतान नहीं किया जाना और टेंडर के नियमों में बदलाव भी शामिल है। इसी वजह से दो-तिहाई कंपनियों ने इस फाइनेंसियल ईअर में टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा ही नहीं लिया। इस साल ईडीएल से दवाओं को खरीदने के लिए केवल 5 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। यह पिछले सालों की तुलना में काफी कम है। अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि इस समस्या से निपटने के लिए अगर सही टाइम पर उपाय भी किए जाएंगे तब भी स्थिति को नॉर्मल होने में छह महीने का टाइम तो लग ही जाएगा।

बाहर से दवाइयां बहुत महंगी

साउथ ईस्ट दिल्ली के जेजे क्लस्टर में एक मोहल्ला क्लीनिक में मरीज डॉक्टरों से मिलने और दवाइयां लेने के लिए लाइन में लगे हुए थे। कई मरीज अपनी जरूरत की दवाओं को लेकर नहीं बल्कि दवाइयों के नाम लिखी सफेद पर्चियां लेकर चले गए। मोलारबंद की रहने वाली और दिहाड़ी मजदूर पूनम देवी पैरों में तेज दर्द और खुजली की शिकायत लेकर क्लीनिक आई थीं। उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें बाहर से दवा खरीदने को कहा था। उन्होंने कहा, “मोहल्ला क्लीनिक हमारे जैसे गरीब लोगों के लिए वरदान है। लेकिन अगर यहां दवाइयां खत्म हो जाएं तो हम उन्हें नहीं खरीदेंगे क्योंकि वे महंगी हैं।” यहां पर डॉक्टर करीब 150 मरीजों को देखते हैं।

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दिल्ली में कितने मोहल्ला क्लीनिक

बता दें कि देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में करीब 533 मोहल्ला क्लीनिक हैं। यह कभी आम आदमी पार्टी के मुकुट रत्न माने जाते थे। साउथ ईस्ट दिल्ली के गोविंदपुरी में भी एक मोहल्ला क्लीनिक पूरे दिन के लिए बंद कर दिया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि दवाएं खत्म हो गई हैं और इसी वजह से डॉक्टर रोजाना नहीं आ रहे हैं। पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी में एक मोहल्ला क्लीनिक में दो फार्मासिस्ट बैठे थे। एक ने कहा कि हमारे पास दवाएं मौजूद नहीं हैं और इसी कारण ज्यादातर मरीजों ने आना बंद कर दिया है।

यह मुद्दा भी नौकरशाही और सरकार के झगड़े के बीच फंसा

दिल्ली में बाकी मुद्दों की तरह यह मुद्दा भी नौकरशाही और सरकार के बीच झगड़े में फंसा हुआ है। जुलाई के महीने में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक मीटिंग की थी। इसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि सीडीएमओ भी इस मामले के लिए दोषी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सीडीएमओ मोहल्ला क्लीनिकों में मौजूद दवाओं को वितरण नहीं कर रहे हैं। इसी वजह से भले ही कुछ दवाइयों को उनके स्टोर में मौजूद दिखा दिया गया हो लेकिन वह दवाइयां वास्तव में मोहल्ला क्लीनिक में मौजूद नहीं है।

(रिपोर्ट- अंकिता उपाध्याय)