केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को अवैध निर्माण ढहाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब उनके बंगले किए गए अवैध निर्माण को ढहाने में कोई बाधा नहीं है। इसके पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने नारायण राणे के जुहू पर बने बंगले में किए गए अवैध निर्माण को दो सप्ताह के भीतर ढहाने का आदेश दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी को अवैध निर्माण गिराने का आदेश देते हुए यह कहा था कि बंगले के कुछ हिस्से के निर्माण में कुछ मानकों का उल्लंघन किया गया है।

इसके पहले पिछले मंगलवार (20 सितंबर, 2022) को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के जूहू स्थित बंगले में किए गए अवैध निर्माण को दो सप्ताह के भीतर ढहाने का निर्देश दिया था। राणे के इस बंगले में अवैध निर्माण को लेकर कोर्ट ने उन पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। इसके पहले बीएमसी उन्हें इसके लिए नोटिस भी भेज चुका था। केंद्रीय मंत्री के बंगले में अवैध निर्माण को लेकर हो रही सुनवाई में जज कमल खाटा और आरडी धनुका की पीठ ने कहा था कि इस निर्माण में फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) और कोस्टल रेगुलेशन जोन (CRZ) के नियमों का उल्लंघन किया गया है।

इसे नियमित करने का मतलब अवैध निर्माण को बढ़ावा देनाः हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसके पहले मामले की सुनवाई करते हुए बीएमसी से कहा था कि राणे के परिवार से संचालित कंपनी, जिसमें अनधिकृत निर्माण को नियमित करने की मांग की गई है, उसकी ओर से दायर किए गए दूसरे आवेदन को इजाजत नहीं दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने कहा था कि इसकी इजाजत देना मतलब और भी ज्यादा मात्रा में अवैध निर्माण करने वालों को प्रोत्साहन देने जैसा होगा।

राणे के वकील ने मांगा था 6 सप्ताह का समय, हाई कोर्ट ने किया था इनकार

हाई कोर्ट ने बीएमसी को दो सप्ताह के भीतर अनधिकृत हिस्सों को ढहाने और एक सप्ताह के भीतर कोर्ट को अनुपालन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने पीठ ने राणे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के पास उन्हें 2 सप्ताह के भीतर यह राशि जमा करने के लिए भी कहा था। वहीं इस मामले में राणे के वकील शार्दुल सिंह ने अदालत से 6 सप्ताह के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकें। हालांकि बेंच ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया था।