शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार की आत्मकथा में उद्धव ठाकरे की आलोचना को गलत जानकारी बताया है। शिवसेना नेता ने गुरुवार (4 मई) को कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम जल्द ही किताब में अपने बारे में लिखी गई चीजों के बारे में जवाब देंगे। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस तरह की किताबें केवल दो ही दिन पढ़ी जाती हैं, उसके बाद इन्हें लाइब्रेरी भेज दिया जाता है।

ऐसी किताबें दो ही दिन पढ़ी जाती हैं- संजय राउत

संजय राउत ने कहा, “मैंने किताब नहीं पढ़ी है। लोग एक किताब को दो दिन पढ़ते हैं और फिर वह लाइब्रेरी में चली जाती है। उद्धव ठाकरे बहुत जल्द इस पर इंटरव्यू देंगे। उनके बारे में जो भी लिखा गया है, इसका जवाब मिलेगा। दरअसल, शरद पवार की आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ में उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे सिर्फ दो बार मंत्रालय गए, जो हमें ज्यादा रास नहीं आया। पवार ने लिखा है कि बाला साहब ठाकरे के साथ बातचीत के दौरान जो सहजता रहती थी, वैसी सहजता उद्धव के साथ बातचीत के दौरान नहीं थी।

संजय राउत ने कोरोना महामारी के दौरान उद्धव ठाकरे के कार्यालय और मंत्रालय के दौरे को पर लिखी गई बात पर कहा कि वह लगातार ऑफिस जा रहे थे। कोरोना महामारी के दौरान उनके मंत्रालय जाने के दौरों में कमी आई थी क्योंकि केंद्र सरकार ने घर से ही काम करने के निर्देश जारी किए थे। राउत ने कहा कि महामारी के दौरान प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अन्य मुख्यमंत्री भी ऑफिस नहीं जा रहे थे।

शिवसेना में बगावत के लिए उद्धव ठाकरे जिम्मेदार

शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में शिवसेना में हुई बगावत को रोक न पाने के लिए उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार बताया है। आत्मकथा में लिखा गया है कि उद्धव ने हालातों से लड़े बिना ही हथियार डाल दिए थे। महाविकास आघाड़ी सरकार गिरने से पहले पैदा हुए घटनाक्रमों के पहले पड़ाव में ही ठाकरे ने हार मान ली।

पवार ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि एक मुख्यमंत्री को राजनीतिक कौशल की जरूरत होती है। साथ ही उसे राजनीतिक गतिविधियों से अच्छी तरह से अवगत रहना चाहिए, हम सब ने इस कमी को महसूस किया है। गौरतलब है कि जून में एकनाथ शिंदे के विद्रोह ने ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया। शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे।