ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा की। बोर्ड ने रविवार को निंदा करते हुए मजहब के नाम पर ऐसी अमानवीय हरकतें करने वालों को इससे बाज आने की हिदायत दी। बोर्ड ने अपने वार्षिक अधिवेशन में भारत सरकार से मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने में बाधा नहीं डालने, समान नागरिक संहिता लागू करने पर पुनर्विचार करने और भीड़ द्वारा पीट कर हत्या करने (मॉब लिंचिंग) के खिलाफ सख्त कानून बनाने की भी मांग की।

बोर्ड ने क्या मांग की?

बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने पीटीआई को बताया कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सायम मेंहदी की अध्यक्षता में लखनऊ के बड़े इमामबाड़े में आयोजित अधिवेशन में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ बांग्लादेश और नेपाल के उलेमा (धर्म गुरू) और मुस्लिम विद्वानों ने शिरकत की। उन्होंने बताया कि बैठक में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि इस्लाम में किसी भी बेगुनाह की हत्या की सख्त मनाही है और मजहब के नाम पर ऐसी अमानवीय हरकतें करने वालों को इससे बाज आना चाहिए।

यासूब अब्बास के मुताबिक अधिवेशन में कहा गया कि पूरी दुनिया में घटित होने वाली आतंकवाद की हर घटना घोर निंदनीय है और दहशतगर्दी करने वालों, उनकी सरपरस्ती (संरक्षक) करने वालों और उनको किसी भी तरह की मदद करने वाले इंसानियत के दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध इतना ज़ोरदार और व्यापक जन-आंदोलन खड़ा किया जाए कि जो थोड़े-से आतंकवादी और हिंसा फैलाने वाले लोग हैं, वे खुद आतंक में आ जाएं। अब्बास ने बताया कि बैठक में 23 सू्त्री प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गए।

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यासूब अब्बास ने बताया कि अधिवेशन में सरकार से वक्फ संशोधन अधिनियम को वापस लेने, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लागू करने के निर्णय पर फिर से विचार करने, अल्पसंख्यक आयोग की तर्ज पर एक ‘वक्फ संरक्षण आयोग’ बनाने और केंद्रीय हज कमेटी में शिया समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व देने, मदीना के जन्नतुल बकी में मोहम्मद साहब की बेटी और चार इमामों के रौजों (मजार) के निर्माण की शिया समुदाय को इजाजत दिलाने के लिये सऊदी अरब सरकार पर दबाव डालने, संसद और राज्य विधानसभाओं में शिया मुसलमानों के लिये सीटें आरक्षित करने की मांग की गई है। अधिवेशन में पारित प्रस्तावों में सरकार से स्कूली पाठ्यक्रमों में हज़रत इमाम हुसैन का अध्याय भी शामिल करने, अजमेर के वक्फ की तरह लखनऊ स्थित वक्फ हुसैनाबाद को भी एक स्वतंत्र वक्फ घोषित करने, शिया समुदाय को शैक्षिक संस्थानों और नौकरियों में शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देने, मोहर्रम के जुलूसों को सुरक्षा देने और मजहबी इमारतों में किसी भी फिल्म की शूटिंग की इजाजत नहीं देने की मांग भी की गयी है।

अधिवेशन में इन बातों पर चर्चा

यासूब अब्बास ने बताया कि अधिवेशन में देश में मॉब लिचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की गई। उनके मुताबिक इसके अलावा हिजाब या पर्दे को संविधान प्रदत्त मजहबी आजादी करार देते हुए इसका विरोध करने वालों की निंदा की गई। अधिवेशन में कहा गया कि हिजाब और पर्दे पर कोई रोक-टोक न की जाए। अब्बास ने बताया कि पारित प्रस्तावों में यह भी कहा गया है कि पूर्व में कुछ मुसलमान बादशाहों की गलत नीतियों और वर्तमान में कुछ उग्रवादी लोगों की गतिविधियों की वजह से न केवल हिन्दुस्तान बल्कि पूरे दुनिया में इस्लाम और मुसलमानों की छवि धूमिल हुई है और इसका फायदा उठाकर इस्लाम विरोधी लोग इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ नफरत का प्रचार करते हैं। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसला किया है कि वह खुद पहल करके हिन्दुस्तान और विदेश में उन लोगों और उन पार्टियों से सम्पर्क करेगा जो मुसलमानों के खिलाफ या तो गलतफहमियों का शिकार हैं या अपने भाषणों और लेखों के जरिए मुसलमानों के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं। पढ़ें बांग्लादेश में हिंदुओं का सिमटता अस्तित्व