आईआईएम-रोहतक के दीक्षांत समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को जाना था लेकिन आखिरी समय में गृहमंत्री शाह ने अपना फैसला बदल दिया और वहां पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भेज दिया। केंद्र सरकार और आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा के बीच उनकी नियुक्ति को लेकर संघर्ष चल रहा है। 2017 में धीरज शर्मा आईआईएम रोहतक के निदेशक के पद पर नियुक्त हुए थे। शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता छुपाई है और वह इस पद के लिए योग्य नहीं है।
धीरज शर्मा की शैक्षणिक योग्यता में कमी को सरकार द्वारा अदालत में भी स्वीकार किया गया है और सरकार ने धीरज शर्मा को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। हालांकि कारण बताओ नोटिस को शर्मा ने अदालत में चुनौती दी है। ऐसे में जब केंद्र सरकार और धीरज शर्मा के बीच संघर्ष चल रहा, फिर भी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को आईआईएम रोहतक के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के लिए धीरज शर्मा के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया।
कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले दीक्षांत समारोह में शामिल होने वाले थे। लेकिन गृहमंत्री शाह को अंतिम समय में अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी, इसलिए उन्होंने (गृहमंत्री अमित शाह) व्यक्तिगत रूप से उनसे (सीएम खट्टर) कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा।
दरअसल धीरज शर्मा की नियुक्ति को लेकर मामला सितंबर 2021 में उठा, जब धीरज शर्मा पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपनी नियुक्ति के लिए अंडर ग्रेजुएट (UG) की डिग्री पेश नहीं की थी, जबकि मंत्रालय ने इसे लेकर उन्हें पत्र लिखा था। धीरज शर्मा अंडर ग्रेजुएट कोर्स में सेकंड डिवीजन पास है ,जबकि आईआईएम के निदेशक पद के लिए ग्रेजुएशन में फर्स्ट डिवीजन पास होना जरूरी है। अब केंद्र सरकार ने भी 14 मार्च को हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर मान लिया है कि धीरज शर्मा सेकंड डिवीजन पास हैं।
कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में सरकार ने कहा है कि धीरज शर्मा बैचलर की डिग्री में सेकंड डिवीजन से पास हुए हैं और आईआईएम के निदेशक पद पर काबिज होने के लिए जरूरी योग्यता फर्स्ट डिवीजन से पास होना है, जो धीरज शर्मा नहीं है। मंत्रालय ने बताया कि वह जांच कर रहा है कि किस तरीके से धीरज शर्मा को इस पद पर नियुक्त किया गया और उसके लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं। धीरज शर्मा की नियुक्ति के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता अमिताव चौधरी ने याचिका दायर की थी।