राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में असम के 40 लाख लोगों के नाम नहीं होने के मामला सियासी पारा चढ़ा रहा है। ऐसे लोग भी सामने आ रहे हैं जो देश के लिए सेवाएं देते रहे लेकिन एनआरसी में उनका नाम नहीं है। असम के मोहम्मद-ए-हक ने दावा किया है कि उन्होंने 30 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवाएं दीं लेकिन एनआरसी सूचि में उनका नाम नहीं है। हक ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि उन्होंने प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा की। उनके पास माता-पिता की विरासत का डेटा है। जांच निष्पक्ष और मैत्रीपूर्ण होना चाहिए। बता दें कि एनआरसी मसौदा बीते 30 जुलाई को प्रकाशित हुआ था जिसमें असम में रहने वाले 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय नागरिकता का सबूत देने वाले उचित दस्तावेजों की कमी के कारण ज्यादातर नामों को एनआरसी में शामिल नहीं किया गया। मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर नजर आईं।
I served in the Indian army for 30 years. I am really sad that my name is not mentioned in #NRC list. I served the nation with commitment. I have legacy data of my parents. The investigation should be fair & friendly: Mohammad A Haq, former army official from Assam's #Guwahati pic.twitter.com/DacbcdDhyV
— ANI (@ANI) August 1, 2018
बुधवार (1 अगस्त) ममता बनर्जी ने दिल्ली में 2019 चुनाव की भावी रणनीतियों के चलते यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेताओं से मुलाकात की और एनआरसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ रोष व्यक्त किया। ममता बनर्जी ने कहा कि वे लोग आग से खेल रहे हैं और जिनके नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ शत्रुतापूर्ण शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने 40 लाख मतदाताओं के भाग्य के बारे में बात की, जिन्हें यहां से भेजने का निर्णय किया जा रहा है। ये लोग बिहार, बंगाल, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के हैं। अगर इन लोगों को यहां से भेजा गया, तो भाजपा क्या चाहती है? क्या वह शांति चाहती है या गृह युद्ध चाहती है?”
सीएम ममता ने कहा, “उन्होंने कुल आबादी के 20-25 प्रतिशत लोगों के नाम हटा दिए। उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिया कहा जा रहा है। क्या बांग्लादेश आतंकवादी देश है? ऐसा कहकर वे बांग्लादेश और भारत दोनों का अपमान कर रहे हैं। उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ आधारहीन आरोप नहीं लगाना चाहिए कि वे लोग घुसपैठियों को भेज रहे हैं।” सीएम ममता ने कहा कि अगर राज्य दूसरे राज्यों के लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे तो गृह युद्ध और खून-खराबा जैसी स्थिति बनेगी।