हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाले कांची कामकोटि पीठ ने भारतीय छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तक तैयार किया है। इसमें भारतीय संस्कृति का विशेष ध्यान रखा गया है। पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने खुद इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि नए पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को भारतीय सभ्यता और संस्कृति से रूबरू कराना है। साथ ही उन्हें चीजों की जानकारी देना है, जिससे आमतौर पर बच्चों को महरूम रखा जाता है। शंकराचार्य का कहना है कि वर्षों से छोटे-छोटे बच्चों को इससे दूर रखा गया है।
कांची कामकोटि पीठ द्वारा तैयार कोर्स को पीठ के स्कूलों के अलावा दक्षिण भारत के कई स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है। पीठ द्वारा तैयार पाठ्यक्रम में ‘ए’ फॉर एप्पल या ‘बी’ फॉर बुक नहीं है, बल्कि ‘आई’ फॉर इंद्र और ‘डी’ फॉर दुर्गा है। तमिलनाडु में स्थित कांची कामकोटि पीठ ने बच्चों के लिए तैयार कोर्स में भारत की नदियों, रामायण, महाभारत और वेदों में उल्लिखित पात्रों को कोर्स में शामिल किया गया है।
‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के अनुसार, कांची कामकोटि पीठ ने झारखंड में भी शिक्षा, वेद और चिकित्सा पर नए प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इसका उद्देश्य प्राचीन शिक्षा और विज्ञान से आज की पीढ़ी को रूबरू कराना है। बताया जाता है कि इन किताबों को झारखंड में कांची कामकोटि पीठ द्वारा संचालित स्कूलों के कोर्स में शामिल किया जाएगा।
वैदिक ज्ञान के अलावा बच्चों को हिंदी भाषा के वर्ण बोध के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। साथ ही अंग्रेजी भाषा के गोल्डन रीडर में अंग्रेजी अल्फाबेट के अक्षरों से हिंदी शब्दों के बारे में जानकारी दी जाएगी। बता दें कि मौजूदा समय में भाषाई ज्ञान से ज्यादा अंग्रेजी भाषा के बारे में लिखाया-पढ़ाया जाता है। कई हलकों से इसका समय-समय पर इसका विरोध किया जाता रहा है।
