सावन में सुलतानगंज से देवघर 105 किमी का रास्ता गेरुआ वस्त्रधारी कांवड़ियों से गुलजार है। रास्ते में दिन-रात बोलबम के नारे गूंज रहे हैं। कहीं भी तिल रखने की जगह नहीं है। आज सावन की पहला सोमवार है। 22 जुलाई से 19 अगस्त तक सावन है। देवघर में सावन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए शनिवार को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी पहुंचे। दोनों नेताओं ने इस दौरान बाबा बैद्यनाथ द्वादश ज्योर्तिलिंग की पूजा अर्चना की।
सुरक्षा के लिए पूरे क्षेत्र में पुलिस-प्रशासन की तैनाती
दूसरी तरफ बिहार सरकार के छह मंत्री भागलपुर के सुलतानगंज का दौरा कर चुके है। बिहार सरकार ने इसे राजकीय मेला का दर्जा दिया हुआ है। भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी खुद व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं। गंगा नदी में जालियों के साथ बैरिकेटिंग की गई है। ताकि कोई कांवड़िया डूब न जाएं। इसके लिए सरकारी तौर पर नाव और तैराक तैनात किए गये है। जगह-जगह पुलिस के जवान तैनात हैं। सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम का दावा किया गया है। केवल देवघर में बारह हजार जवान तैनात किए गए है। वहीं वासुकीनाथ में तीन हजार कांस्टेबल सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे है। श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने के बाद बाबा वासुकीनाथ की पूजा करने जाया करते हैं। कांवड़ियों की मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ सिविल कोर्ट है तो बाबा वासुकीनाथ फौजदारी अदालत है। जहां तुरंत सुनवाई होती है। यह इनकी अटूट आस्था का मामला है।
दरअसल सुलतानगंज में गंगा नदी आकर उत्तरवाहिनी हुई है। पुराणों में उल्लेख है कि जाह्नवी ऋषि तपस्या में लीन थे। और भागीरथ अपने तप से गंगा को धरती पर ला रहे थे। इसी दौरान कलकल करती गंगा की धारा के शोर से ऋषि का ध्यान टूटा गया। और गुस्से में आचमन कर पूरी गंगा को पी गए। यह देख भागीरथ स्तब्ध रह गए। और उनके सामने हाथ जोड़कर विनती की। तब ऋषि ने जांघ चीरकर गंगा की धारा निकाली। गंगा की धारा सुलतानगंज में उसी दिन से उत्तरवाहिनी हुई। तब से ही श्रद्धालुओं के लिए यहां की गंगा नदी विशेष महत्व रखती है। यह श्रद्धा का केंद्र बन गया। शिवभक्त कांवड़ में जल भरकर देवघर ज्योर्तिलिंग का जलाभिषेक करते है।
सावन के महीने में लाखों कांवड़िए पहाड़ों, जंगलों, और नदी नालों से होकर गुजरते है। इस दुर्गम यात्रा को छोटे – बड़े – बच्चे और महिलाएं गेरुआ बाना पहने बोल बम के नारे लगाते हुए नंगे पांव पैदल तय करते है। यह सिलसिला अनवरत शुरू हो चुका है। लोगों की मान्यता है कि सावन में उत्तरवाहिनी गंगा नदी का जल बाबा के शिवलिंग पर चढ़ाने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है। देवघर बाबा मंदिर पहुंचकर श्रद्धालु 22 मंदिरों में पूजा – अर्चना करते है। सुलतानगंज से देवघर 105 किलोमीटर का रास्ता कांवर में बंधे घंटियों की आवाज से गूंज रहा है।
सावन के मेले में हर साल देश के अलावा नेपाल, भूटान, सूरीनाम जैसे राष्ट्रों से भी तीर्थ यात्री दर्शन के लिए आया करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक बीते साल 50 लाख श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलार्पण किया था। अबकी दफा प्रशासन का अंदाजा बीस फीसदी बढ़ोतरी का है। झारखंड और बिहार सरकार ने मेले के दौरान व्यापक इंतजाम करने का दावा किया है। रेलवे ने छह विशेष ट्रेने चलाने और सुलतानगंज स्टेशन पर हर ट्रेन के ठहराव की घोषणा की है। सुल्तानगंज और देवघर मंदिर प्रांगण में भीड़ पर कड़ी निगाह रखने के लिए सीसीटीवी लगाए गए है। गंगा घाटों पर हाईमास्क लाइट लगाई गई है। सत्यम – शिवम – सुंदरम की भावना से ओतप्रोत यह मेला एकता – सद्भावना और आस्था का प्रतीक है।