नोएडा में कई सफाईकर्मी इन दिनों नौकरी से निकाले जाने का विरोध कर रहे हैं। कई कर्मी तो पिछले 20-25 सालों से वह नौकरी कर रहे थे लेकिन अब उन्हें निकाल दिया गया है, उन्होंने आरोप लगाया कि वाल्मीकि समाज के होने के कारण उनकी बहाली नहीं हो रही है। प्रदर्शन कर रहे सफाईकर्मियों ने बताया कि इससे पहले भी कुछ कर्मियों को निकाला गया था लेकिन वह उच्च जाति के थे इसलिए उन्हें दोबारा रख लिया गया लेकिन हम वाल्मीकि  जाति के हैं इसलिए हमें नहीं रखा जा रहा है।

प्रदर्शन कर रहे कर्मियों के अनुसार कुछ समय पहले नोएडा के सेक्टर 12 से कुछ सफाई कर्मिय़ों को निकाला गया था। उनका दावा है कि इंस्पेक्टर और सुपरवाइजर पद पर तैनात कर्मियों को इसलिए बहाल कर दिया गया क्योंकि वह ब्राह्मण थे। लेकिन अब जिन कर्मियों को निकाला गया है वह वाल्मीकि हैं, इसलिए उनकी बहाली नहीं की जा रही है। उन्होंने विभाग में जातिवाद होने का आरोप लगाया।

नौकरी से निकाले जाने वालों में से कुछ को कोरोना काल के दौरान स्वच्छता कार्यकर्ता के रूप में पुरुस्कृत भी किया गया था। अचानक नौकरी चले जाने के कारण इन मजदूरों को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें और अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करें। अपनी चिंताओं को जाहिर करते हुए एक सफाईकर्मी ने कहा कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और पीएम नरेंद्र मोदी तक जाएंगे।

सफाई कर्मियों का समर्थन करने पहुंचे मजदूरों के एक संघ के नेता जागेश वाल्मीकि ने कहा कि सफाई कर्मचारियों के साथ जाति के आधार पर बर्ताव किया जा रहा है। छोटी जाति के कर्मियों का शोषण हो रहा है। हम इसके लिए प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और अन्य आयोगों तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी जाति का शोषण हो रहा है, बाल्मिकी समाज के लोगों को सुपरवाइजर नहीं बनने दिया जाता है।

जागेश वाल्मीकि ने आरोप लगाया कि 250 उच्च जाति के कर्मचारी सफाई कर्मी के पद पर तैनात हैं लेकिन वह सुपरवाइजर की नौकरी कर रहे हैं। वो काम नहीं करते हैं, हस्ताक्षर करते हैं और घर चले जाते हैं। इस दौरान उन्होंने कई कर्मियों के नाम भी गिनाएं।

कोरोना काल के दौरान इन सफाई कर्मियों को फ्रंट लाइन का वॉरियर करार दिया गया था लेकिन अब यह अपने ही अधिकारों के लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। चुनाव से पहले इन मामले का राजनीतिकरण होने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता है।