Sambhal News: संभल में एक तालाब और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद को लेकर प्रशासन ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका लगाई थी। अब कोर्ट ने इस यातिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष इस मामले में ट्रायल कोर्ट में अपील करे।
जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने शनिवार को संभल में कथित तौर पर सरकारी ज़मीन पर बनी एक मस्जिद, उससे सटे एक मैरिज हॉल और एक अस्पताल को गिराए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जस्टिस पाठक ने मुस्लिम पक्ष को निर्देश दिया कि वह विध्वंस आदेश के खिलाफ निचली अदालत में अपील दायर करे।
प्रशासन के कदम को लेकर क्या बोला कोर्ट?
मुस्लिम पक्ष द्वारा यह याचिका मस्जिद शरीफ गौसुल वारा रावा बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली, मिंजर द्वारा दायर की गई थी। प्रशासन ने राया बुज़ुर्ग गांव में एक मस्जिद और 30,000 वर्ग फुट के एक मैरिज हॉल को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बुलडोज़र से ढहा दिया।
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बता दें कि एक दशक पहले बनी मस्जिद और मैरिज हॉल, दोनों को एक सर्वेक्षण के दौरान अवैध अतिक्रमण घोषित कर दिया गया था। पिछले चार महीनों में संभल में किसी मस्जिद को लेकर यह दूसरा ऐसा विवाद है। सुनवाई के दौरान मस्जिद समिति ने भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत किए जैसा कि अदालत ने पिछली सुनवाई में मांगा था।
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वकील ने लगाए गंभीर आरोप
मस्जिद की ओर से पेश हुए वकील अरविंद कुमार त्रिपाठी ने दलील दी कि मस्जिद ढहाने की कार्रवाई बिना किसी औपचारिक आदेश के शुरू हुई थी। हालांकि अदालत के हस्तक्षेप के बाद, अंततः एक आदेश जारी किया गया।
वकील ने कहा कि मैरिज हॉल को पहले ही ढहा दिया गया था। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि अधिकारियों ने जानबूझकर 2 अक्टूबर, गांधी जयंती और दशहरा, को तोड़फोड़ अभियान के लिए चुना और बड़ी भीड़ के जमा होने से दंगे या कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।
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