समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक आजम खान 23 महीने बाद जेल से रिहा हुए। रिहा होने के बाद हुए वह लगातार मीडिया को इंटरव्यू दे रहे हैं। कभी उत्तर प्रदेश के सबसे ताकतवर मंत्रियों में से एक और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े नेता रामपुर सदर से 10 बार विधायक रहे आजम खान का राजनीतिक प्रभाव 2019 से लगातार बढ़ रहे मामलों के बाद से कम होता जा रहा है। उनके खिलाफ दर्ज मामलों में जमीन हड़पने, धोखाधड़ी से लेकर आपराधिक अतिक्रमण और अभद्र भाषा जैसे आरोप शामिल हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को आजम खान के घर उनसे मिलने जा रहे हैं। आजम खान ने इस बीच इंडियन एक्सप्रेस से विशेष बातचीत की है।

अखिलेश यादव से अकेले मिलूंगा- आजम खान

अखिलेश यादव से मुलाकात के सवाल पर आजम खान ने कहा कि सोचने की कोई बात नहीं है। वह आएंगे और मुझे सम्मान मिलेगा। आजम खान ने कहा, “ऐसा नहीं है कि वह पहली बार आ रहे हैं। मेरे तन-मन पर उनका हक है। वह आएंगे और मुझे खुशी होगी। मेरा सम्मान बढ़ेगा। लेकिन मैं चाहता हूं कि सिर्फ़ वही आए। मैं सिर्फ़ उन्हीं से मिलूंगा। बाक़ी लोग मुझसे क्यों मिलेंगे? इतने दिनों से मेरे परिवार के बारे में किसने पूछा? मेरी बीवी ईद पर अकेली बैठी रो रही थी। कोई आया था क्या? किसी का फ़ोन आया था क्या? तो अब वो क्यों आएं? उन दिनों तो हमारे फोन वगैरह सब बंद हो जाते थे। तो ये सिर्फ़ दो लोगों की मुलाक़ात होगी। तीसरे के लिए कोई जगह नहीं है। चाहे वो कोई भी हो।”

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अखिलेश और मुलायम के साथ आजम खान के रिश्ते

सपा के फाउंडर मुलायम सिंह यादव और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ अपने रिश्तों पर आजम खान ने कहा, “उन्होंने (मुलायम) पार्टी को खड़ा किया जमीन से उठकर। हममें से कोई भी उनके कद तक नहीं पहुंच सकता। भविष्य में भी नहीं। लेकिन अखिलेश जी इसे संभाले हुए हैं और इसका श्रेय उन्हें जाता है। जहां तक हमारे निजी रिश्तों की बात है, वह मेरा बहुत सम्मान करते हैं और मैं कहना चाहूँगा कि राजनीति के नए दौर में वह सबसे सुसंस्कृत नेता हैं।”

रामपुर लोकसभा सांसद से खुश नहीं आजम खान?

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान रामपुर लोकसभा सीट से टिकट को लेकर आजम खान से सवाल पूछा गया। इसके जवाब में आजम खान ने कहा, “मुझसे सलाह ली गई और तय हुआ कि अखिलेश जी चुनाव लड़ेंगे। बाद में मुझे पता चला कि पार्टी ने तय किया है कि अखिलेश जी यहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे। मुझे बहुत खुशी हुई कि अखिलेश जी पार्टी के फैसले से सहमत थे और उन्होंने मेरी या अपनी इच्छाएँ नहीं थोपीं। लेकिन मुझे आज भी इस बात का दुख है कि आख़िरकार कौन चुनाव लड़ रहा है क्योंकि रामपुर के लोगों का (जिन्होंने अत्याचार सहे हैं और अपमानित हुए हैं) चुनाव लड़ना उनका हक था। मैं मोहिबुल्लाह नदवी (जो रामपुर से जीते हैं) को जानता भी नहीं। वह बहुत विद्वान व्यक्ति हैं, लेकिन रामपुर में उन्हें कोई नहीं जानता। मैंने कभी खुद को बेचा नहीं, लेकिन मुझे अपनी औकात (औकात) का पता चल गया।”