सिख विरोधी दंगों के मामले में 34 साल बाद सजा पाने वाले पूर्व कांग्रेस नेता और देश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट बाहरी दिल्ली के सांसद रहे सज्जन कुमार को मंडोली जेल भेजा गया है। सोमवार को कोर्ट में सज्जन कुमार के समर्पण के बाद ही जेल भेजने की कार्रवाई शुरू हो गई थी। इससे पहले माना जा रहा था कि उन्हें तिहाड़ जेल भेजा जाएगा। लेकिन कड़कड़डूमा कोर्ट ने ऐसा नहीं किया।
…इसलिए लिया मंडोली जेल का फैसलाः दरअसल तिहाड़ की बजाय मंडोली सेंट्रल जेल भेजने का फैसला सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया। तिहाड़ जेल में देश के कई कुख्यात अपराधी बंद हैं। इसके अतिरिक्त वहां क्षमता से कई ज्यादा कैदी हैं। इस लिहाज से सज्जन कुमार को वहां खतरा हो सकता था। दूसरी तरफ मंडोली सेंट्रल जेल आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस है। सुरक्षा के लिहाज से यह देश की सबसे अच्छी जेलों में शुमार है। यह जेल अक्टूबर 2016 में ही बनकर तैयार हुई। 340 करोड़ की लागत से बनी इस जेल में 3776 कैदियों को रखे जाने की क्षमता है।
2700 से ज्यादा सिख मारे गए थे उस दिनः अदालत ने 17 दिसंबर को फैसला देते हुए कहा था, ‘1984 के दंगे में राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 2700 सिखों की हत्या की गई। यह घटना अविश्वसनीय नरसंहार थी। यह मानवता के खिलाफ अपराध था। इसके पीछे जो लोग थे उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और कानून का पालन करने वाली एजेंसियों ने भी इनका साथ दिया।’
ऐसा रहा सज्जन का करियरः 70 के दशक में आनंद पर्वत की झुग्गियों में चाय की दुकान लगाने वाले सज्जन कुमार ने तेजी से सियासत की बुलंदिया छू लीं और उस समय की देश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर ली। अचानक संजय गांधी से एक मुलाकात के बाद उनकी जिंदगी बदलने लगी। मादीपुर-जेजे कॉलोनी में एक मिठाई की दुकान शुरू की और साथ ही कांग्रेस के लिए काम करते रहे। 1977 में उन्होंने पार्षद का चुनाव जीतने के महज तीन साल बाद 1980 में बाहरी दिल्ली से सांसद का चुनाव भी जीत लिया। सज्जन कुमार ने 1991 और 2004 में भी बाहरी दिल्ली से ही चुनाव जीता लेकिन बीच-बीच में दंगों के दाग के चलते टिकट कटता रहा। अब दोषी करार दिए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है।