उच्चतम न्यायालय ने केरल स्थित सबरीमला मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं का प्रवेश र्विजत करने संबंधी व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई पूरी कर ली। न्ययालय इन याचिकाओं पर बाद में फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दोनों पक्षों के वकील से कहा कि वे अपनी लिखित दलीलें पूरी करके उन्हें सात दिन के भीतर उसके समक्ष पेश करें। पीठ ने कहा, ‘‘हम आदेश पारित करेंगे। फैसला सुरक्षित किया जाता है। सुनवाई पूरी हो गयी है। दोनों पक्षों के एडवोकेट आॅन रिकार्ड लिखित दलीलें एकत्र करके उनका संकलन करेंगे और सात दिन में उसे न्यायालय में दाखिल करेंगे।’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं।शीर्ष अदालत ने कल सुनवाई के दौरान कहा था कि संविधान की व्यवस्था में ‘सजीव लोकतंत्र’ में किसी को अलग रखने पर प्रतिबंध लगाने का कुछ महत्व है।

न्यायालय इंडियन लॉयर्स एसोसिएशन और कुछ अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान केरल सरकार ने 18 जुलाई को न्यायालय से कहा था कि अब वह 10 से 50 साल की आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की पक्षधर है। हालांकि इससे पहले राज्य सरकार 10 से 50 साल की आयु वर्ग की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश र्विजत करने की व्यवस्था के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलती रही है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 13 अक्तूबर को इस मामले में पांच महत्वपूर्ण सवाल निर्धारित करते हुये इन्हें विचार के लिये संविधान पीठ को सौंपा था। इनमें यह सवाल भी शामिल था कि क्या मंदिर में महिलाओं का प्रवेश र्विजत करने की प्रथा भेदभाव के समान है और क्या इससे संविधान में प्रदत्त उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है।