Greater Noida Industrial Development Authority: ग्रेटर नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को लेकर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने ऑथारिटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार को 40 आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहुंचे और अधिकारीयों से मिले तथा उन्हें ज्ञापन भी दिया। इसमें उन्होंने कई सारी मांगे की है।

इस ज्ञापन में कहा गया कि ग्रेटर नोएडा के विकास को नजरअंदाज कर अथॉरिटी आम लोगों को परेशान कर रही है। शहर के सेक्टरों की हालत भी काफी खराब हो चुकी है। ग्रेटर नोएडा में सत्ता, विपक्ष के राजनीतिक ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच में ऐसा तालमेल बन रहा है कि इससे शहर में काम नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि ऑथारिटी के द्वारा शहर के लोगों पर घरों से निकलने वाले कूड़े पर जो चार्ज लगाया गया है। वह बिल्कुल ही गलत है।

लोगों की आम राय भी जाननी चाहिए

इस ज्ञापन में यह भी कहा गया कि आपने यहा के लोगों से एक मुश्त लीज रेंट लिया है दूसरी तरफ आप शहर के लोगों से इस समय आवंटन के रेट पर मोटी रकम को भी ट्रांसफर चार्ज के तौर पर ले रहे हैं। इससे विकास के कामों से ज्यादा पैसा मिल रहा है। इसलिए इस आदेश को तत्काल वापस ले लेना चाहिए और आगे अगर इस तरह का कोई भी फैसला करते हैं तो आम लोगों की राय भी जान लेनी चाहिए।

आरडब्ल्यू के अधिकारियों की हो रही अनदेखी

आरडब्ल्यू के पदाधिकारियों के द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि आप लगातार आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। चीफ एग्जिक्यूटिव का कार्यभार संभालने के बाद आपने फेडरेशन और ऑथारिटी की मीटिंग को बंद कर दिया है और सही समय ना मिलने की वजह से अधिकारियों ने आरडब्ल्यूए की बातो को सुनना, फोन उठाना और जवाब देना बंद कर दिया है। आपसे नीचे के अधिकारी ठेकेदारों के साथ में मिलकर आरडब्ल्यूए को कमजोर और तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि आपके द्वारा पानी के बिलों मे हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जा रही है। यह बिल्कुल गलत है। जब भी पानी के बिलों में बढ़ोतरी की जाए तो बोर्ड की मीटिंग में विचार किया जाए और शहर की समस्या यह है कि ऑथारिटी आज पानी की सही सप्लाई देने में भी काफी हद तक सफल नहीं हो पा रहा है। कितनी जगह ऐसी हैं जहां पर पानी के बिल तो आते हैं लेकिन वहां पर पानी की लाइन तक नहीं है।

सिस्टम को पूरी तरह जकड़ लिया

ग्रेटर नोएडा डेवलेपमेंट अथॉरिटी में सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के लोग मिलकर ने मिलकर सिस्टम को पूरी तरह जकड़ लिया है। इसकी वजह से मेंटीनेंश के काम बंद पड़े हुए हैं। ऑथारिटी ने पहले ऑथारिटी में मोदी सभी कर्मचारियों के टेंडर लेने पर रोक लगा दी थी लेकिन आज भी ऑथारिटी के लोग अपने परिवार के लोगों के नाम पर फर्म बना टेंडर हासिल कर रहे हैं। इसकी वजह से फर्जी कामों का भुगतान बिना काम किए ही हो रहा है। ऑथारिटी में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा बढ़ गया है। शहर के लोगों की रजिस्ट्री, कप्लीशन जैसे काम बिना रिश्वत दिए हो ही नहीं रहे हैं। पूरे यूपी में पौधारोपण का अभियान चल रहा है लेकिन ऑथारिटी हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है।

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में शहर के लोगों के फीडबैक और काम ना होने पर कोई शिकायत का नियम नहीं है और जो माध्यम बताए गए हैं वो एकदम ठंडे पड़े हुए हैं। मित्र एप के जरिये जो शिकायत आवंटियों के पास दी जाती है तो उन्हें फर्जी रिपोर्ट लगाकर बंद कर दिया जाता है। इसकी मॉनिटरिंग किसी भी अधिकारी के जरिये नहीं की जा रही है। ग्रेटर नोएडा डेवलेपमेंट ऑथारिटी में फीडबैक और शिकायत के लिए कॉल सेंटर का सही इंतजाम होना चाहिए। ग्रेटर नोएडा डेवलेपमेंट ऑथारिटी बोड़ाकी जंक्शन, अंतर्राजीय बस अड्डे, ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो, फुट ओवर ब्रिज जैसे जरूरी कामों को भी नहीं किया जा रहा है।