राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 11 मार्च से राजस्थान के नागौर में होगी। इसमें स्वयंसेवकों की 90 साल से चली आ रही पोशाक को बदलने से लेकर विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा होने की संभावना है। संघ की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश में जेएनयू प्रकरण, पठानकोट आतंकी हमला, जाट आरक्षण प्रकरण, कथित असहिष्णुता के आरोप, केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरें व आने वाले समय में पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों में आसन्न चुनाव होने हैं।

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘राजस्थान के नागौर में 11, 12 और 13 मार्च को अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक होगी। इसमें विभिन्न समसामयिक विषयों, संघ के कार्य व संगठन से जुड़े मामलों पर चर्चा होनी है।’ इस बैठक में 90 साल बाद आरएसएस प्रचारकों की पोशाक को बदलने के बारे में भी विचार किया जा सकता है। इस बारे में कोई निर्णय हो सकता है कि संघ की शाखाओं में उपस्थिति के दौरान स्वयंसेवक अपनी पारंपरिक खाकी हॉफपैंट पहनें या उन्हें किसी दूसरे रंग की पतलून पहनने की इजाजत दी जाए। नागौर में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस बारे में अंतिम निर्णय हो सकता है।

पांच साल पहले संघ के सामने स्वयंसेवकों को खाकी हॉफ पैंट के बजाए काले, नीले या धूसर रंग का फुल पैंट पहनने की अनुमति देने का प्रस्ताव आया था ताकि बदले वक्त के साथ वे भी तालमेल बैठाते नजर आएं। मगर तब इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में विभिन्न

समसामयिक विषयों पर चर्चा होने की संभावना है। इन विषयों में जेएनयू प्रकरण, पठानकोट आतंकी हमला, जाट आरक्षण प्रकरण, कथित असहिष्णुता के आरोप व आने वाले समय में पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों में आसन्न चुनाव, आतंकी संगठन आइएसआइ से जुड़े घटनाक्रम आदि शामिल हैं।

दिल्ली प्रांत के सह प्रांत संघ चालक आलोक कुमार ने कहा कि 90 वर्षों के दौरान संघ का कार्य निरंतर बढ़ा है। आज देश में 73620 स्थानों पर प्रत्यक्ष रूप से शाखाएं चल रही है। कुमार ने कहा कि इन शाखाओं में 91 फीसद सख्या 40 साल के कम आयु के तरूणों की है और 9 फीसद शाखाएं इससे अधिक उम्र के स्वयंसेवकों की है। 66 फीसद शाखाएं छात्रों की हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले चार साल से ज्वायन आरएसएस वेब पोर्टल के माध्यम से बड़ी संख्या में करीब 8000 युवा प्रति माह संघ के साथ जुड़ रहे हैं। भारत के इतिहास व संस्कृति के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से संघ साहित्य अभियान आयोजित कर रहा है। दिल्ली भर में यह अभियान 1000 स्थानों पर शुरू किया जाएगा और इसमें आरएसएस की विचारधारा को उजागर करने वाले साहित्य की बिक्री की जाएगी। इसके अलावा देश के इतिहास व संस्कृति और प्रख्यात लोगों की जीवनियों पर आधारित पुस्तकों की बिक्री की जाएगी।

इन पुस्तकों का विषय आरएसएस की विचारधारा और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद होगा। इस अभियान के लिए पुस्तकों के 40 हजार सेटों को प्रकाशित किया गया है। आरएसएस की दिल्ली इकाई के मीडिया प्रभारी राजीव तुली ने बताया, ‘मोटे तौर पर किताबें पांच शीर्षकों पर आधारित होंगी। आरएसएस व उसकी विचारधारा, बच्चों के लिए लघु कथाएं, छात्रों के लिए हनुमान और गीता व भारत के क्रांतिकारी।’

आरएसएस ने यह भी तय किया है कि इन पुस्तकों को हिंदी व अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध कराया जाए ताकि बच्चों, युवाओं व महिलाओं से जुड़ने और उन तक व्यापक पहुंच बनाने में मदद मिल सके। तुली ने कहा कि ये पुस्तकें देश के युवाओं में पढ़ने की संस्कृति को जागृत करेंगी और उन्हें देश को बेहतर तरीके से जानने में मदद करेंगी।