खुद को ‘आरएसएस के विचारधारा का अनुयायी’ बताने वाले एक संगठन की ओर से एक 15 दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया। इनमें 450 से ज्यादा महिलाएं शामिल हुईं, जिन्हें शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए ट्रेनिंग दी गई। इन महिलाओं की उम्र 15 से 45 साल के बीच थी। अब ये महिलाएं राज्य की लड़कियों को अपनी सीख बांटेंगी।
महिलाओं के इस संगठन का नाम राष्ट्र सेविका समिति है। कानपुर में बुधवार को आरएसएस की विंग विद्या भारती की ओर से संचालित कॉलेज के कैंपस में इस संगठन के ट्रेनिंग शिविर का समापन हुआ। संगठन का दावा है कि उसने बीते सालों में ‘हजारों’ महिलाओं को ट्रेन्ड किया है। संगठन के मुताबिक, उसने हालिया ट्रेन्ड ग्रुप से कहा है कि ‘वे बाहर जाएं और दूसरी लड़कियों को लव जिहाद के खतरे के बारे में सचेत करें।’
कैंप में हिस्सा लेने वाले महिलाओं को राष्ट्रवाद के बारे में बता गया। लव जिहाद पर चर्चा हुई। इसके अलावा, ‘हिंदू जीवनशैली’ और जेएनयू में हुई घटना के बारे में बताया गया। अब ट्रेन्ड महिलाओं को संगठन के सदस्यों की ओर से कहा गया है कि वे अपने इलाकों में शाखाओं का आयोजन करें और लड़कियों के बीच ‘राष्ट्रवादी विचारधारा’ का प्रसार करें।
समिति की सह कार्यवाह रेखा राजे ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘हिस्सा लेने वालीं महिलाओं को बताया गया कि वे खुद को लव जिहाद से खुद को कैसे बचाएं आतंकी संगठनों की ओर से दिए जाने वाले लालच से कैसे बचें। इस बात के भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने चरित्र को कैसे बचाएं।’
राजे ने यह भी कहा, ‘हमने उन्हें यह भी कहा कि वे टीवी सीरियल्स में नजर आने वाले चरित्रों से प्रभावित न हों। इनमें महिलाओं को एक दूसरे के खिलाफ साजिश रचते और परिवार तोड़ते दिखाया जाता है। उन्हें परिवार को जोड़कर रखने को कहा गया है। लड़कियों से कहा गया कि उन लिबास से परहेज करें जिसमें वे अश्लील नजर आते हैं।’ राजे ने इस बात से इनकार किया कि राष्ट्र सेविका समिति का बीजेपी से कोई संबंध है। उन्होंने कहा कि वे किसी राजनीतिक पार्टी के लिए काम नहीं करते।
हालांकि, कानपुर के एक नेता ने कहा कि आरएसएस की तरह ही समिति की सदस्य बीजेपी को चुनाव में मदद करती हैं। नेता ने बताया, ‘वे आदिवासी, पिछड़े और दलित समुदाय की महिलाओं से संपर्क करती हैं और उन्हें राष्ट्रवादी विचारधारा के बारे में बताती हैं।’
आरएसएस के गठन के 11 साल बाद 1936 में राष्ट्र सेविका समिति का निर्माण हुआ। समिति के सदस्यों को ‘आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित’ माना जाता है। गुजरते वक्त में समिति ने यह सुनिश्चित किया कि उसके सदस्य आरएसएस के एजेंडे पर ही काम करें। समिति की एक पदाधिकारी ने बताया कि उनकी देश भर में 3500 से ज्यादा शाखाएं हैं, जिनमें से 250 यूपी में हैं।