आरएसएस ने कहा है कि अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है पर जोर देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण की नीति लागू न कर बड़ा अपराध कर रहा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने शनिवार को कहा कि एएमयू के अल्पंसख्यक संस्थान के दर्जे पर राजग सरकार का रुख यूपीए सरकार को छोड़कर बाकी पूर्ववर्ती सरकारों के रुख और 1968 में आए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक है। भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह एएमयू को गैर अल्पसंख्यक संस्थान करार देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की ओर से दायर याचिका वापस लेगी।

गोपाल ने कहा, ‘केंद्र का रुख वही है जो मौलाना आजाद (तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री), एमसी छागला, सैयद नुरूल हसन का था। उस समय तीनों तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी भी वहां थे। हमारा रुख सुप्रीम कोर्ट फैसले जैसा है। हमने फैसले को नहीं बदला, यूपीए ने 2005 में ऐसा किया था।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए वर्तमान केंद्र सरकार ने कोई नया फैसला नहीं लिया है। उन्होंने वहीं फैसला लिया जो 1968 में सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने दिया था। ऐसा ही फैसला संविधान सभा ने लिया था, जिसमें डॉ बाबा साहब आंबेडकर, मौलाना आजाद और कई मुसलिम नेता शामिल थे।’

गोपाल ‘राष्ट्रीय आरक्षण नीति और अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय’ विषय पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इसमें भाजपा के कई सांसद और विधायक मौजूद थे।