राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने आज आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा के संविधान को ‘मनुस्मृति’ पर आधारित नये संविधान से बदलने के नापाक मंसूबे हैं जो ‘शुद्रों’ और ‘अस्पृश्यों’ को मनुष्य नहीं मानता। प्रसाद ने राजद के 20वें स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “भाजपा के इरादे खतरनाक हैं क्योंकि वे आरएसएस के सुझाव के अनुरूप मनुस्मृति पर आधारित एक नया संविधान लिखना चाहती है। संघ कभी भी संविधान को स्वीकार नहीं करता क्योंकि गोलवलकर ने उसे विदेशी संविधानों का नकल बताया था।”

उन्होंने कहा कि संविधान समानता के सिद्धांत पर आधारित है और उसमें दलितों एवं पिछड़ों के लिए आरक्षण के प्रावधान किये गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि आरक्षण का प्रावधान नहीं होता तो पिछड़े और महिलाएं दास होतीं। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से दलितों एवं पिछड़ों को राजनीति में लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि 1952 के लोकसभा चुनाव में उन समुदायों के 245 सदस्य थे जिनका वोट प्रतिशत 10 से 15 प्रतिशत था जबकि जिनके वोट 54 प्रतिशत थे उनके लोकसभा में मात्र 59 प्रतिनिधि थे।

उन्होंने कहा कि 1977 के लोकसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग से जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़कर 260 और 1991 के चुनाव में बढ़कर 308 हो गई। प्रसाद ने कहा, ‘‘हम किसी को भी बी आर अंबेडकर एवं अन्य द्वारा तैयार संविधान में बदलाव नहीं करने देंगे।’’ उन्होंने पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का शासन समाप्त करने के लिए तैयार रहें।