दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से आईआरसीटीसी घोटाले में दायर दो मुकदमों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बृहस्पतिवार को 19 जनवरी तक के लिए अंतरिम जमानत दी। विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने रांची जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए प्रसाद को अंतरिम राहत दी। चारा घोटाला मामले में जेल में बंद लालू स्वास्थ्य कारणों से अदालत आने में सक्षम नहीं थे, इसलिए वह वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पेश हुए। अदालत ने सीबीआई और ईडी को निर्देश दिया कि वह दोनों मामलों में प्रसाद की जमानत याचिका पर अपना जवाब दें। यह मामला आईसीआरसीटीसी के दो होटलों की देखरेख का ठेका निजी फर्म को सौंपने में हुई अनियमितताओं से जुड़ा है।

इससे पहले 2006 के आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव अनुबंध से संबंधित धनशोधन मामले में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य को जमानत दे दी थी। विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने अदालत में मौजूद आरोपियों को जमानत देते हुए उनसे एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत राशि भरने को कहा था।

सितंबर में अपने खिलाफ जारी किए गए समनों के मद्देनजर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव अदालत के समक्ष पेश हुए थे। अदालत ने इस मामले मेंसुनावई 19 नवंबर को निर्धारित की थी।

 क्या था मामला

यह घोटाला रांची और पुरी में स्थित आईआरसीटीसी होटलों का ठेका निजी कंपनियों को 2006 में प्रदान करने में अनियमितता बरतने से जुड़ा है। कथित तौर पर ठेका हासिल करने के लिए निजी कंपनी ने रिश्वत के तौर पर तीन एकड़ की व्यावसायिक भूमि पटना जिले में मुहैया करवाई थी। ईडी ने अपने आरोपपत्र में लालू प्रसाद की पार्टी के नेता पी. सी. गुप्ता, उनकी पत्नी सरला गुप्ता, लारा प्रोजेक्ट्स नामक एक कंपनी और 10 अन्य को इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) होटल निविदा मामले में आरोपी बनाया है। सभी आरोपियों को धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोपी ठहराया गया है।

भाषा के इनपुट के साथ।