Uttar Pradesh Small Rivers: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के हर जिले में एक छोटी नदी को revive (पुनर्जीवित) करने के लिए काम शुरू कर दिया है। इस काम में तीन IITs और अन्य टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स की मदद ली जा रही है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये संस्थान “चैनलाइजेशन, कोर्स करेक्शन, पानी के निर्बाध प्रवाह” पर अध्ययन कर मदद कर रहे हैं।

करीब एक महीने पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिले में कम से कम एक नदी के पुनरुद्धार की योजना पर काम करने का निर्देश दिया था।

प्लान के अनुसार, सरकार नदियों के उद्गम स्थल से लेकर उनके “अंतिम संगम” तक का मानचित्रण करेगी। जिलों को इस उद्देश्य के लिए एक ज्वांइट एक्शन प्लान तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस काम की निगरानी के लिए डिविजनल कमिश्नर के नेतृत्व में डिविजनल लेवल मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है।

IIT के अलावा कौन-कौन से संस्थान कर रहे मदद?

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नदियों के पुनरुद्धार प्रयास को IIT कानपुर, IIT बीएचयू, IIT रुड़की और BBU लखनऊ जैसे प्रमुख संस्थानों से तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त हो रही है। ये संंस्थान भौगोलिक, पारिस्थितिक और सामाजिक फैक्टर्स की डिटेल स्टडी के आधार पर नदी-विशिष्ट योजनाएं तैयार कर रहे हैं।

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बयान में कहा गया है कि MNREGA के तहत 2018 में शुरू किया गया यह अभियान अब एक अधिक संरचित और तकनीकी रूप से सशक्त मिशन के रूप में विकसित हो गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गतिविधियों में जलधाराओं की सफाई, जलमार्गीकरण, वर्षा जल संचयन और व्यापक वृक्षारोपण अभियान शामिल हैं।

सरकार इस योजना के लिए सुचारू कार्यान्वयन के लिए 10 विभागों को एक साथ लाई है। इनमें सिंचाई, लघु सिंचाई, पंचायती राज, वन, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, शहरी विकास, उत्तर प्रदेश राज्य जल संसाधन एजेंसी, ग्रामीण विकास और राजस्व शामिल हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये विभाग प्रयासों को क्रियान्वित करने के लिए जिला स्तर पर तालमेल से काम कर रहे हैं। इसके अलावा जिला गंगा समितियों को लोकल लेवल पर रिवर सिस्टम की निगरानी और सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने का भी काम सौंपा गया है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पुनरुद्धार प्रक्रिया निरंतर, समावेशी और जनसहभागिता पर आधारित रहे।

व्यापक वृक्षारोपण पर भी फोकस

इसके अलावा जिलों को अभियान के तहत नदी के किनारों पर व्यापक वृक्षारोपण करने के लिए भी कहा गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्लान के तहत हर जिला अपने अधिकार क्षेत्र में संबंधित नदी के क्षेत्र की सफाई के लिए एक डिटेल प्लान तैयार करेगा, साथ ही जल प्रवाह को बहाल करने और तालाबों, चेकडैम आदि जैसे संबंधित जल स्रोतों के संरक्षण के तरीके भी तलाशेगा।

इन नदियों को पुनर्जीवित करने पर काम शुरू

इस अभियान के तहत, श्रावस्ती नदी में बूढ़ी राप्ती नदी को फिर से जीवित करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है। यह नदी करीब 67 किमी लंबी है। सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रिमोट सेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल करके नदी संरेखण (river alignments ) का मानचित्रण किया जा रहा है। बूढ़ी श्रावस्ती नदी के अलावा एक अन्य नदी मनोरमा के को पुनर्जीवित करने पर भी काम शुरू हुआ है। इस नदी का उद्गम स्थल गोंडा में है और यह बस्ती जिले में कुआनो नदी में मिलती है।

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