छह जनवरी को निगम का गठन होते ही उन्हें चुने गए जनप्रतिनिधियों के अधिकार का पता चल जाएगा। कई बार अधिकारी और विधायकों में तू-तू, मैं-मैं की खबरें होती रही है। अब निगम में भी ऐसी स्थिति देखने को मिलेगी। निगम का एकीकरण क्या हुआ, अधिकारी के दोनों हाथ घी में चल रहे थे। कोई रोक टोक नहीं। जिसे चाहे तोड़ दें, उखाड़ दें और जिसे चाहे छोड़ दें।

दक्षिणी दिल्ली में तो एक सज्जन अवैध निर्माण की शिकायत करते रहे लेकिन अधिकारी का आश्वासन मिलता रहा और निमार्ण कार्य पूरा हो गया। लेकिन अब जनप्रतिनिधि छह जनवरी को विराजमान हो रहे हैं।

वेतन के लाले

निगम की आर्थिक हालत ठीक करने के मकसद से हुई तीनों निगमों के एकीकरण के बाद भी वेतन के लाले पड़े हुए हैं। बंटवारे से पहले पूर्वी निगम में तैनात एक प्रशासनिक अधिकारी ने दबी जुबान से बताया कि कोई फर्क नहीं पड़ा है। अंतर इतना ही हुआ है कि पहले हम लोग पूर्वी निगम के उद्योग विभाग के खंडहरनुमा भवन में बैठते थे अब सिविक सेंटर के आलीशान कमरे में बैठते हैं।

लेकिन वेतन के मामले में अभी भी हमारी हालत पहले से बहुत अच्छी नहीं है। तीन महीने तक तो इंतजार करना ही पड़ रहा है। वह भी तब, जब लगातार मांग कर दबाव बनाया जा रहा है। मतलब साफ है कि निगम में अभी भी पड़े हैं वेतन के लाले।

पार्किंग की गुत्थी में झोल

नोएडा में जहां प्राधिकरण कर्मियों की अनदेखी कर अवैध रूप से एक ईंट लगाना संभव नहीं है, वहीं अनसुलझे झोल के तहत प्राधिकरण शहर में पार्किंग के पूर्व ठेकेदारों से करोड़ों रुपए के बकाए को वसूल नहीं कर पा रही है। केवल मामला ठेकेदारों से वसूली तक ही नहीं बल्कि पार्किंग के निर्धारित समय पर नए टेंडर जारी नहीं होने से नोएडा को रोजाना लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

बेदिल को पता चला है कि नोएडा की पार्किंग ठेकों की समयावधि पूरी होने के बाद करीब एक महीने में ही तीन करोड़ रुपए का राजस्व नहीं मिला है। नए टेंडर जारी होने और प्रक्रिया पूर्ण होने में कम से एक महीने का और समय लगेगा। ऐसे में ठेकेदारों पर बकाया करीब 20 करोड़ रुपए के अलावा दो महीने के राजस्व नुकसान के साथ कुल रकम 26-27 करोड़ रुपए पहुंचने की उम्मीद है।

जी हजूरी में व्यस्त

सत्ता पर काबिज पार्टी ने नगर निकाय चुनावों में भी परचम लहराया है। इस पार्टी के नवनिवार्चित पार्षदों ने अपने-अपने इलाकों में शपथ लेने से पहले सफाई को लेकर मोर्चा संभाल लिया है। वहीं कुछ पार्षद इन दिनों आला कमान की जी हजूरी में भी व्यस्त दिखाई दे रहे हैं। इन पार्षदों को उम्मीद है कि दिल्ली नगर निगम की समितियों के लिए पार्टी उनके नामों पर मुहर लग सकती है।

यही वजह है कि सुबह के वक्त पार्षद सोशल मीडिया पर अपने इलाके में हुई सफाई की तस्वीर साझा करते हैं और दोपहर बाद आला कमान और पार्टी नेतृत्व की जी हजूरी करने में जुट जाते हैं।

-बेदिल