कावेरी नदी के पानी की हिस्सेदारी को लेकर बने गतिरोध के बीच तमिलनाडु और कर्नाटक के मतभेदों को दूर करने के लिए केंद्र द्वारा गुरुवार (29 सितंबर) को बुलायी गयी बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती द्वारा बुलाई गई बैठक में तमिलनाडु ने कर्नाटक के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि नदी क्षेत्र में जल की उपलब्धता का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति भेजी जाए। उमा भारती ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि कर्नाटक सरकार ने उनके मंत्रालय से अनुरोध किया कि कावेरी नदी में पानी की उपलब्धता का जायजा लेने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर जोर दिया। लेकिन तमिलनाडु ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि अंतत: अदालत के बाहर कोई समझौता नहीं हो सका। बैठक की अध्यक्षता उमा भारती ने की। उन्होंने कहा, ‘अब एक बार फिर मामला माननीय उच्चतम न्यायालय के सामने है।’
करीब तीन घंटे चली बैठक में उमा भारती और सिद्धारमैया के अलावा तमिलनाडु के लोक निर्माण मंत्री ई के पलानीस्वामी, दोनों राज्यों के मुख्य सचिव, केंद्रीय जल संसाधन सचिव शशि शेखर और केंद्रीय जल आयोग के अधिकारी भी शामिल हुए। उमा भारती ने कहा कि बैठक में दोनों राज्यों द्वारा रखे गए विचारों पर मंत्रालय ने गौर किया। इस बैठक का आयोजन उच्चतम न्यायालय के मंगलवार के आदेश पर किया गया था। उच्चतम न्यायालय में इस मामले में शुक्रवार (30 सितंबर) को सुनवार्ई होगी और बैठक के बारे में रिपोर्ट पेश की जाएगी।
कावेरी नदी के पानी को लेकर बेंगलुरु, मैसूर और मांड्या सहित दोनों राज्यों में तनावपूर्ण स्थिति का जिक्र करते हुए उमा भारती ने शांति सुनिश्चित करने और एक दूसरे के लोगों का ख्याल रखने की अपील की। उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, ‘अगर समस्या कायम रही तो मैं दो राज्यों की सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ सकती हूं।’
बैठक के बाद कर्नाटक के मुख्य सचिव अरविंद जाधव ने कहा कि उनके राज्य ने जोर दिया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार पानी छोड़े जाने के पहले विशेषज्ञों की एक केंद्रीय समिति नदी बेसिन क्षेत्र का दौरा करे और ‘जमीनी वास्तविकताओं, उपलब्ध पेयजल की मात्रा और फसल की स्थिति’ का अध्ययन करे। उन्होंने कहा कि इसके बाद केंद्रीय टीम जो कहेगी, हम उसका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड स्थापित करने की अपनी मांग को एक बार फिर दोहराया।
जाधव ने कहा, ‘इस पर, हमारे मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि इस संबंध में 11 अक्तूबर को एक अदालत के समक्ष सुनवाई होनी है और बोर्ड गठित करने के मुद्दों पर वहां फैसला होने दें।’ विशेषज्ञ समिति भेजे जाने की कर्नाटक की मांग पर शेखर ने कहा कि कानून में इस संबंध में कोई प्रावधान नहीं है और इस मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश में इस बात का कोई जिक्र नहीं है।

