रिटायर्ड सैनिकों के पुनर्वास प्रशिक्षण में वित्तीय अनियमितताओं के चलते रक्षा मंत्रालय ने जांच के लिए कमिटी का गठन किया है। जांच के दायरे में 250 फर्म्स हैं। इनके खिलाफ मंत्रालय की अंदरूनी वित्त यूनिट ने शिकायत की थी। पुनर्वास प्रशिक्षण पर सालाना 20 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। जांच कमिटी का गठन पिछले महीने किया गया था। रक्षा मंत्रालय की अंदरूनी वित्त यूनिट ने साइट इंस्पेक्शन के बादइ बताया था कि दिल्ली और गाजियाबाद में कई जगहों पर इंस्टीट्यूट ही नहीं है। कहीं पर जरूरी तंत्र ही नहीं है। यह ट्रेनिंग स्कीम डायरेक्टर जनरल ऑफ रिसेटलमेंट के तहत आती है।
इससे पहले शुरुआती निरीक्षण में सामने आया था कि इस तरह की ट्रेन देने वाले कर्इ इंस्टीट्यूट ने किसी तरह की सार्वजनिक जानकारी मुहैया नहीं कराई। यहां तक कि उनकी वेबसाइट या र्इमेल भी नहीं है। रक्षा मंत्रालय के सचिव(पूर्व सैनिक कल्याण) प्रभुदयाल मीणा ने बताया, ”जब हमें शिकायत मिली तो हमने कमिटी बनाई। ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स का मौका मुआयना जारी है और अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी।” पूर्व सैनिकों को ट्रेनिंग के तहत मॉड्यूलर मैनेजमेंट, डेयरी फार्मिंग और गाडि़यों की मरम्मत जैसे काम सिखाए जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन साल में इस तरह की ट्रेनिंग के जरिए 82270 सैनिकों को ट्रेनिंग दी गई है।