राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक से परेशान लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। दिल्ली सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है, जिसके तहत आवारा कुत्तों को माइक्रोचिप लगाई जाएगी और उनके लिए संस्थागत आश्रय बनाए जाएंगे। इस पहल को भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्लूबीआइ) द्वारा तैयार की जाने वाली एक नई नीति का समर्थन मिलेगा और दिल्ली सरकार इस पूरी योजना के लिए फंड मुहैया कराएगी। मौजूदा पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम- 2023 में प्रावधान नहीं होने की वजह से इसमें संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव धर्मेंद्र की अध्यक्षता में आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान और दिल्ली हाई कोर्ट के अदालती आदेश के अनुपालन में पिछले दिनों अहम बैठक बुलाई गई थी। बैठक में दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग, पशुपालन विभाग के अलावा दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के अलावा केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों के अतिरिक्त पेटा इंडिया की तरफ से प्रतिनिधि भी शामिल हुए। सूत्र बताते हैं कि मुख्य सचिव ने कुत्तों के पुनर्वास के लिए संस्थागत आश्रय विकसित करने की इच्छा जताई। इस पर दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने साफ और स्पष्ट तौर पर बताया कि वर्तमान एबीसी नियम- 2023 में इस तरह का प्रावधान नहीं होने की वजह से इसमें बदलाव संशोधन किया जाना जरूरी है।

दक्षिणी दिल्ली के तेहखंड इलाके में उपलब्ध है जमीन

राजधानी में वर्तमान में 20 पशु जन्म नियंत्रण केंद्र, एनजीओ के माध्यम से संचालित हो रहे हैं, जो आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी का कार्य कर रहे हैं। तीन वर्षों (2022-23 से 2024-25) में 2,70,172 आवारा कुत्तों का टीकाकरण किया जा चुका है। एमसीडी प्रतिदिन औसतन 300 कुत्तों का टीकाकरण/नसबंदी कर रही है, जिससे हर महीने लगभग 10,000 कुत्तों को कवर किया जा रहा है।

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दिल्ली नगर निगम के पशुपालन सेवाएं विभाग/रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के उपनिदेशक एसके यादव ने बताया कि उसके पास दक्षिणी दिल्ली के तेहखंड इलाके में 1,000 स्क्वायर यार्ड खाली जमीन उपलब्ध है जिसका इस्तेमाल संस्थागत आश्रय निर्माण के लिए किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि एमसीडी के पास इसको बनाने के लिए फंड का अभाव है, जिसके लिए दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग की ओर से मुहैया कराया जाए। धनराशि मिलने पर इस जमीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।