कश्मीर के विशेष दर्जे को लेकर अपने फैसले से सरकार ने सधे अंदाज में विपक्ष में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की है। राज्यसभा में बहस और मतदान के दौरान विपक्षी खेमे में खड़े कई प्रमुख दल इस मुद्दे पर सरकार के साथ हो गए। विपक्षी दलों में बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता, तमिलनाडु की एआइएडीएमके, ओड़ीशा की बीजू जनता दल, महाराष्ट्र की शिवसेना, आंध्र प्रदेश की वाइएसआर कांग्रेस और दिल्ली की आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले इस अनुच्छेद को हटाने का खुलकर समर्थन किया। इसके विरोध में कांग्रेस, माकपा समेत अन्य वामपंथी पार्टियां, बिहार की राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तमिलनाडु की एमडीएमके, डीएमके, बंगाल की तृणमूल कांग्रेस, यूपी की समाजवादी पार्टी (एसपी) ने सामने आईं। यूपीए में कांग्रेस की सहयोगी रही पार्टी एनसीपी ने इस प्रस्ताव पर मतदान से गैरहाजिर रहने का फैसला किया। टीडीपी ने सरकार का समर्थन किया है। जबकि, केंद्र में भाजपा को समर्थन दे रही जनता दल (एकी) ने इस कदम का विरोध किया है।

जद (एकी) का विरोध चौंकाने वाला रहा। जद (एकी) के नेता केसी त्यागी ने कहा कि हमारी पार्टी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले के साथ नहीं है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। जद (एकी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार, जय प्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडीस की परंपरा के नेता हैं। हम किसी विवादित फैसले के साथ नहीं हैं। बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म होने से पूरे देश के मुसलिमों को जम्मू-कश्मीर में बसने और वहां संपत्ति बनाने का अधिकार होगा, इसलिए पार्टी प्रमुख मायावती ने इसका बाकी पेज 8 पर समर्थन करने का फैसला किया। मिश्रा ने कहा, ‘हमने पहले भी कहा था कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं। इसका कुछ कारण बताना चाहते हैं। सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही अल्पसंख्यक नहीं रहते। मुसलिम समुदाय जितना जम्मू-कश्मीर में रहता है, उससे कहीं ज्यादा उनकी तादाद में पूरे देश में रहती है। लेकिन, जम्मू-कश्मीर में अपनी संपत्ति बनाएं, वहां के वाशिंदे बनें, उनका यह हक अभी तक छिना हुआ था। अब देश भर के मुस्लिमों, दलितों, पिछड़ों को यह हक मिल गया कि वे जम्मू-कश्मीर में बस पाएंगे।’

बीजू जनता दल के सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि जम्मू कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है। उन्होंने कहा कि हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब पाकिस्तान के अधीन वाले कश्मीर के हिस्से को भारत में मिलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भले ही क्षेत्रीय दल हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाएं रखते हैं, लेकिन जब देश की एकता-अखंडता और सुरक्षा की बात हो तो हम पूरे देश के साथ हैं। अन्नाद्रमुक ने भी अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी संकल्प तथा राज्य पुनर्गठन विधेयक का समर्थन किया। अन्नाद्रमुक के नेता ए नवनीत कृष्णन ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रावधान था। उनकी नेता (दिवंगत) जे जयललिता देश की एकता-अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने की पक्षधर थीं।

शिवसेना ने कहा कि सही मायने में जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय आज ही हुआ। सांसद संजय राउत ने कहा, ‘जो 70 साल से लटका पड़ा था, आज उस पर फैसला लेकर बहुत बड़ा निर्णय लिया गया। 1947 में नहीं, सही मायने में आज ही जम्मू-कश्मीर का विलय हुआ है।’ आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे राज्य में शांति और खुशहाली आएगी। एआइएडीएमके सांसद ए नवनीतकृष्णन ने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार लारा सदन में पेश किए गए सारे विधेयकों का समर्थन कर रही है। वाइएसआर कांग्रेस के सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि अनुच्छेद 370 वर्षों से देश को चुभ रही थी। असम के राजनीतिक दल बीपीएफ के राज्यसभा सांसद विश्वजीत दईमारी ने धारा 370 हटाने को जम्मू-कश्मीर और देश की सुरक्षा से जोड़ा और कहा कि यह उस राज्य के साथ-साथ देश के लिए भी जरूरी था।

दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि जिस तरह से भाजपा की सरकार ने पिछले कुछ समय में कानून बनाए हैं, उससे राज्यों को नगर निगम प्रशासन में तब्दील कर दिया गया है। सरकार राज्यों को अपनी जागीर और उपनिवेश बना रही है। सपा नेता अखिलेश यादव ने पूछा, अनुच्छेद 370 हटाने के लिए राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा, ‘मैं तो अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में भी नहीं हूं। अगर इसे हटना ही था तो हटा देते, लेकिन राज्य का दर्जा क्यों हटा दिया?’ राजद नेता मनोज झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने आज कश्मीर को फिलिस्तीन बनाने का फैसला किया है। माकपा के सांसद टीके रंगराजन ने कहा कि भाजपा-आरएसएस संविधान को खत्म करने की राह पर हैं। उन्होंने कहा, ‘आपने जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भंग कर दी, वहां राज्यपाल शासन लगा दिया, 35 हजार सैन्य कर्मी भेज दिए, कल आप कुछ भी कर सकते हैं। आप किसी भी राज्य को टुकड़ों में बांट सकते हैं।’