केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर बिजली गिराते हुए कद्दावर नेता नवजोत सिंह ने सोमवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ उनके आम आदमी पार्टी से जुड़ने के कयास भी तेज हो गए हैं। साथ ही यह सवाल भी उठ रहे हैं कि वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तगड़े प्रशंसक नवजोत को इस्तीफा देना पड़ा।
अमृतसर का टिकट छीना जानाः नवजोत को 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अमृतसर से टिकट देने से इनकार कर दिया था और यह सीट उनसे छीन कर वर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली को दे दी गई। हालांकि जेटली यहां से चुनाव लड़कर भी कोई खास करिश्मा नहीं दिखा सके क्योंकि वह इस लोकसभा सीट से चुनाव हार गए। हालांकि सिद्धू ने पंजाब के चुनावों में कोई हिस्सा नहीं लिया लेकिन यह बात गौर करने योग्य थी कि जिस सीट को उनसे छीनकर जेटली को दिया गया सिद्धू उस सीट पर सन 2004 से सांसद थे और लगातार जीतते आ रहे थे।
अकाली दल से बेरुखीः सिद्धू ने अप्रैल में राज्यसभा सांसद की शपथ ली थी और उसके बाद पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा के गठबंधन को लेकर अपनी बेरुखी जाहिर की थी। मालूम हो कि नवजोत ने कहा था कि वह पंजाब को छोड़कर पूरे मुल्क में कहीं भी चुनाव प्रचार के लिए जाने को तैयार हैं। उधर 8 मार्च 2016 को सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर (मुख्य संसदीय सचिव) ने भी भाजपा-एसएडी गठबंधन को लेकर अपनी बेमनी जाहिर की थी।
नहीं बन रहा था मन का मेलः नवजोत शायद बहुत वक्त पहले से इस्तीफा देने तैयारी में थे। 4 महीने पहले 1 अप्रैल को उनकी पत्नी नवजोत कौर ने अपनी फेसबुक पोस्ट में भाजपा से इस्तीफे की बात कही थी। हालांकि बाद में उन्होंने बयान पलटते हुए इस बात से पल्ला झाड़ लिया।
बोझ बन चुकी थी भाजपाः जून में सिद्धू ने पंजाब की राजनीति में एक बार फिर से वापसी की। वह राजनीतिक रैलियों में स्टेज पर दिखाई पड़े। उन्हें भाजपा की कोर टीम में भी शामिल किया गया। लेकिन जैसा कि उन्होंने सोमवार को की गई अपनी पोस्ट में कहा… शायद भाजपा अब उनके लिए एक बोझ बन चुकी थी।