कन्फेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान को एक पत्र भेजकर मांग की है कि ब्रांड अंबेसडर्स की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाए जाएं। कैट ने यह भी मांग की है कि ब्रांड अंबेसडर्स को उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में भी लाया जाए। कैट ने कहा है कि विभिन्न क्षेत्रों, खासकर फिल्म और खेल के क्षेत्र में काम करने वाले मशहूर लोग ज्यादा पैसा कमाने के लिए विभिन्न उत्पादों का विज्ञापन कर उन्हें इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि उत्पाद की गुणवत्ता कैसी है। कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि हम काफी लंबे समय से यह मांग उठा रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
अगर अब भी सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं होती है तो मजबूर होकर हमें अदालत की शरण में जाना पड़ेगा। पासवान को भेजे पत्र में कैट ने कहा है कि ब्रांड अंबेसडर्स एक अनुबंध के तहत और निश्चित राशि लेकर उत्पादों का विज्ञापन करते हैं, इसलिए वे सेवा प्रदाता की श्रेणी में आते हैं। उनके विज्ञापन उपभोक्ता की खरीदने की क्षमता और पसंद को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। विज्ञापनों में ब्रांड अंबेसडर्स का इस्तेमाल उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए किया जाता है और वे उत्पाद के बारे में बड़े-बड़े दावे करते हैं। इस कारण ब्रांड अंबेसडर्स स्वत: ही उत्पाद के बिक्री मैकेनिज्म का अभिन्न हिस्सा बन जाते हैं, इसलिए वे उत्पाद की गुणवत्ता की जिम्मेदारी से हट नहीं सकते ।
कैट ने कहा है कि बाजारवाद के इस युग में उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए ब्रांड अंबेसडर्स की सेवाएं लेना आम हो गया है और उपभोक्ता ब्रांड अंबेसडर्स की छवि के कारण उत्पाद की गुणवत्ता की चिंता न करते हुए उत्पाद खरीदने को प्रेरित होते हैं। इसलिए उपभोक्ता के हित में यह जरूरी है कि ब्रांड अंबेसडर्स को उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत लाया जाए।